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भारत में बिजनेस से लेकर राजनीति तक हर फीूल्ड में परिवारों का दबदबा देखा जाता है. सिनेमा भी इससे अछूता नहीं है. अभिनेता से लेकर निर्माता तक, अपने परिवार के सदस्यों को सिनेमा में लाकर सिनेमा परिवार बना लेते हैं. बॉलीवुड हो या फिर साउथ इंडस्ट्री या फिर कोई और इंडस्ट्री हर भाषा के सिनेमा में परिवारों का ऐसा दबदबा या नेपोटिज्म देखने को मिलता है. आज एक ऐसे परिवार के बारे में बताने जा रहे हैं जिस एक ही परिवार से सात एक्ट्रेसेस और एक नामी डायरेक्टर और एक कैमरामैन निकला था.
बॉलीवुड में बरसों से कपूर खानदान का दबदबा है. पहले पृथ्वीराज कपूर, राज कपूर फिर ऋषि कपूर-रणधीर कपूर और राजीव कपूर ने इंडस्ट्री पर राज किया औऱ अब बरसों से उनके बच्चे बॉक्स-ऑफिस पर कब्जा जमाए हुए हैं. इसके अलावा बच्चन परिवार भी हिंदी फिल्म इंडस्ट्री के सबसे नामचीन खानदानों में से एक है. आज फिल्मों के जिस शाही परिवार के बारे में बात कर रहे हैं, वो बॉलीवुड से नहीं बल्कि साउथ से आती है.

क्या आप विश्वास कर सकते हैं कि एक परिवार से 7 हीरोइन, एक निर्देशक और एक कैमरामैन तमिल सिनेमा पर राज कर चुके हैं? यह सच है. तमिल सिनेमा की ‘पहली ड्रीम गर्ल’ टी.आर.राजकुमारी का परिवार ही वो परिवार है. इस परिवार के बारे में बात करनी हो तो उनकी दादी गुजलाम्बाल से शुरुआत करनी होगी. वह एक प्रसिद्ध कर्नाटक गायिका थीं.

गुजलाम्बाल के बच्चे ही बाद में तमिल सिनेमा पर राज करने लगे. तंजावुर उनका मूल स्थान है. इस परिवार की पहली सिनेमा एंट्री एस.पी.एल. धनलक्ष्मी थीं. 1930 के दशक में एक्ट्रेस के रूप में चमकने वाली एस.पी.एल. धनलक्ष्मी इस परिवार की पहली पीढ़ी की एक्ट्रेस थीं. 1935 में नेशनल मूवी टोन नामक प्रोडक्शन कंपनी की पहली फिल्म ‘पार्वती कल्याणम’ थी. पहली फिल्म होने के कारण इसके निर्माता माणिकम ने तमिलनाडु भर में योग्य अभिनेताओं की तलाश की. इस खोज के दौरान वह तंजावुर गए और धनलक्ष्मी के नृत्य प्रदर्शन को देखकर उन्हें अपनी फिल्म की हीरोइन के रूप में चुना.

धनलक्ष्मी की बहन तमयन्ती भी 1930 के दशक में कुछ फिल्मों में अभिनेत्री के रूप में काम कर चुकी हैं. इसके बाद टी.आर.राजकुमारी इस परिवार में शामिल हुईं. 1930 के दशक के अंत में निर्देशक के.सुब्रमण्यम एस.पी.एल. धनलक्ष्मी से मिलने गए. वहां उन्होंने राजाय नाम की एक छोटी लड़की की चंचलता देखी. वह लड़की सुंदर भी थी. निर्देशक की नजर में सुंदर लड़कियां हमेशा अभिनेत्रियां बन जाती हैं. के.सुब्रमण्यम ने राजाय का नाम बदलकर राजकुमारी रखा और अपनी फिल्म ‘कच्च देवयानी’ (1941) में अभिनय कराया. धनलक्ष्मी की बहन की बेटी ही यह राजकुमारी थीं.

टी.आर.राजकुमारी से पहले इस परिवार के अन्य सदस्य कुछ ही फिल्मों में काम कर पाए थे. लेकिन टी.आर.राजकुमारी तमिल सिनेमा की ड्रीम गर्ल बनकर सफल हुईं, जिससे इस परिवार के और लोग भी फिल्म उद्योग में आए. इनमें सबसे महत्वपूर्ण टी.आर.रामन्ना थे. वह तमिल सिनेमा के निर्देशक और निर्माता थे. एमजीआर और शिवाजी के साथ फिल्म बनाने वाले एकमात्र निर्माता वही थे. इसके बाद टी.आर.राजकुमारी की बहू कुशलकुमारी भी फिल्मों में हीरोइन के रूप में आईं. 70 के दशक में उन्होंने हीरोइन के रूप में धूम मचाई. इसके बाद अगली पीढ़ी के रूप में अभिनेत्री धनलक्ष्मी की बेटियां सिनेमा में आईं.

वे ही 80 के दशक में तमिल और तेलुगु सिनेमा में ग्लैमरस हीरोइन के रूप में धूम मचाने वाली ज्योति लक्ष्मी और जयमालिनी थीं. धनलक्ष्मी की एक और बहन के बच्चे नहीं थे, इसलिए ज्योति लक्ष्मी को उन्हें गोद दे दिया गया. ज्योति लक्ष्मी और जयमालिनी दोनों ही ग्लैमरस गानों में नृत्य कर दर्शकों को आकर्षित करती थीं. एमजीआर की फिल्म ‘पेरिया इडथु पेन’ में ‘कट्टोडु कूझलाडा’ गाने के माध्यम से ज्योति लक्ष्मी प्रसिद्ध हुईं. ‘सेतु’ फिल्म में हिट हुए ‘गाना करुंगुयिले’ गाने में नृत्य करने वाली वही ज्योति लक्ष्मी थीं.

तमिल सिनेमा में यादगार फिल्म ‘जगन्मोहिनी’ की हीरोइन जयमालिनी थीं. ज्योति लक्ष्मी ने 300 फिल्मों में काम किया, जबकि जयमालिनी ने 500 फिल्मों में काम किया. इस परिवार की अगली पीढ़ी ज्योति मीना थीं. ‘उल्लाथाई अल्लिथा’ फिल्म में काउन्डमणि के साथ अभिनय करने वाली ज्योति मीना ने विजय और अजित जैसे अभिनेताओं के साथ भी नृत्य किया है.

उन्होंने कुछ फिल्मों में कैरेक्टर रोल भी निभाए हैं. ज्योति मीना के पिता एक कैमरामैन थे. इस तरह यह पूरा परिवार तमिल सिनेमा में धूम मचाता रहा. हालांकि, अब इस परिवार का कोई भी सदस्य सिनेमा में नहीं है. हां, ज्योति मीना आखिरी पीढ़ी की अभिनेत्री थीं. ज्योति मीना ने एक डॉक्टर से शादी की और घर में बस गईं. उनके बेटे भी डॉक्टर बन गए हैं. इस तरह सिनेमा परिवार अब मेडिकल परिवार में बदल गया है.