सांकेतिक तस्वीर
– फोटो : अमर उजाला
विस्तार
बरेली-सितारगंज हाईवे के चौड़ीकरण के लिए जमीन अधिग्रहण में खेल कर पेशेवर मालामाल हुए, वहीं कई छोटे किसान मुआवजे के लिए अब तक तरस रहे हैं। उनकी मजबूरी यह है कि वे अधिग्रहण के लिए चिह्नित जमीन को न बेच सकते हैं, न ही उस पर कोई निर्माण करा सकते हैं।
घोटाला सामने आने के बाद मुआवजा वितरण की रफ्तार भी थम गई है। अधिग्रहण के दौरान भी पेशेवरों को तो हाथों-हाथ मुआवजा दिया गया, पर छोटे किसानों को कमियां बताकर टाल दिया गया। अब वे परेशान हो रहे हैं।
28 फीसदी भू स्वामियों का मुआवजा अटका
बरेली-सितारगंज हाईवे के दूसरे चरण के चौड़ीकरण के लिए 72 प्रतिशत जमीन का अधिग्रहण कर उसके बदले किसानों को भुगतान कर दिया गया है। 28 प्रतिशत जमीन के मालिकान मुआवजे का इंतजार कर रहे हैं।