8th Pay Commission: केंद्र सरकार ने गुरुवार को बजट 2025 से पहले अपने कर्मचारियों के लिए आठवें वेतन आयोग के गठन का एलान कर दिया। नरेंद्र मोदी की नेतृत्व वाली सरकार ने पहली बार वेतन आयोग के गठन को मंजूरी दी है। सरकार के इस फैसले का लाभ लगभग 50 लाख केंद्रीय कर्मचारियों और 65 लाख पेंशनधारकों को मिलेगा। इससे पहले 2016 में सरकार ने सातवें वेतन आयोग की सिफारिशों को लागू किया था, जिससे बाद कर्मचारियों के वेतन में बड़ा इजाफा हुआ था।
कब से लागू होंगी आठवें वेतन आयोग की सिफारिशें?
सातवें वेतन आयोग का कार्यकाल 31 दिसंबर 2025 तक का है। ऐसे में नए वेतन आयोग की सिफारिशें 2026 में लागू की जा सकती हैं। नए वेतन आयोग की सिफारिशें लागू हुईं तो केंद्रीय कर्मचारियों की न्यूनतम बेसिक सैलरी में कितना इजाफा होगा, इस बात को लेकर अटकलें भी लगनी शुरू हो गईं हैं। सोशल मीडिया पर तमाम तरह के दावे किए जा रहे हैं। इन दावों की सच्चाई क्या है? सातवें वेतन आयोग की सिफारिशों के बाद कर्मचारियों का वेतन कितना बढ़ा? नए आयोग की सिफारिशें अगर पहले के आंकड़ों को आधार मानकर ही तय हुईं, तो आगे कर्मचारियों की सैलरी पर कितना असर पड़ेगा, आइए जानते हैं विस्तार से।
वेतन आयोग के गठन से सिफारिशें लागू होने तक लगभग कितना समय लगता है?
सबसे पहले बात कर लेते हैं आठवें वेतन आयोग के गठन के बाद सोशल मीडिया पर किए जा रहे दावों पर। इंटरनेट पर कर्मचारियों की सैलरी बढ़ने को लेकर फिलहाल जो अटकलें लग रहीं हैं वे महज कयास ही हैं। अभी वेतन आयोग के गठन को कैबिनेट की मंजूरी दी गई है। अब वेतन आयोग के सदस्यों और अध्यक्ष नाम तय कर इसका गठन किया जाएगा। आयोग पूरे मसले पर विचार-विमर्श करने के बाद सरकार को अपनी सिफारिशें देगी। फिर सरकार उन सिफारिशों को जब लागू करेगी, जब जाकर ही कर्मचारियों की सैलरी में इजाफा होने की बात पर मुहर लगेगी। पुराने अनुभवों के आधार पर कहें तो पूरी प्रक्रिया में कम से कम एक साल से ढाई साल का समय लग सकता है। अगर सरकारी स्तर पर चुस्ती दिखाई भी गई और पूरी प्रक्रिया सालभर में ही पूरी कर ली जाए तो भी नए आयोग की सिफारिशें 2026 में ही लागू हो पाएंगी। इसलिए अभी से किसी सैलरी कैलकुलेशन पर भरोसा करना बेमानी हैं।
सातवें वेतन आयोग की सिफारिशों के बाद क्या हुआ, अब क्या अनुमान?
अब जानते हैं सातवें वेतन आयोग की सिफारिशें लागू होने के बाद केद्रीय कर्मचारियों की सैलरी में क्या बदलाव आया था? साथ ही, नए वेतन आयोग की सिफारिशें अगर पुरानी सिफारिशों के आसपास ही रहीं तो कर्मचारियों की सैलरी में कितना बदलाव आएगा यह भी जान लेते हैं। लेकिन यह सब जानने से पहले हमें एक जरूरी शब्द के बारे में जानना पड़ेगा, जो है ‘फिटमेंट फैक्टर’।
फिटमेंट फैक्टर क्या है?
फिटमेंट फैक्टर एक गुणक है जिसका उपयोग सरकारी कर्मचारियों के लिए संशोधित वेतन और पेंशन की गणना करने में की जाती है। वेतन आयोग की सिफारिशों का आधार यही फिटमेंट फैक्टर होता है, जिससे कर्मचारियों की बढ़ी हुई सैलरी और पेंशनधारकों का बढ़ा हुआ पेंशन कैलकुलेट किया जाता है। सातवें वेतन आयोग की अनुशंसा के आधार पर सरकार ने साल 2016 में केंद्रीय कर्मचारियों के वेतन निर्धारण के लिए 2.57 का फिटमेंट फैक्टर लागू किया था। इसके विपरीत, छठे वेतन आयोग में फिटमेंट फैक्टर 1.86 था।
क्या है कर्मचारियों के वेतन निर्धारण की प्रक्रिया?
किसी भी व्यवस्था में अलग-अलग स्तरों पर लोग काम करते हैं। कुछ लोग बहुत ही बेसिक काम के लिए होते हैं जैसे ऑफिस का काम है या ड्राइवर का काम। फिर कुछ लोग जो उससे ऊपर के स्तर पर होते हैं जैसे हेड क्लर्क या सेक्शन ऑफिसर। फिर उसके ऊपर कुछ लोग होते हैं जो बड़े फैसले ले सकते हैं। फिर बड़े अधिकारी सबसे ऊपर होते हैं वे सरकार की नीतियां बनाने में बड़ी भूमिका निभाते हैं। सरकार में इन कर्मचारियों के वेतन निर्धारण के लिए अलग-अलग लेवल होते हैं। सातवें वेतन आयोग के अनुसार ऐसे करीब 18 पे लेवल हैं। फिर कर्मचारियों के काम के हिसाब से अलग-अलग पे बैंड होता है। वर्तमान व्यवस्था में पांच पे बैंड हैं। सबसे पहला जो पे बैंड जो बेसिक पे बैंड है वह 5200 से 20200 का है। फिर दूसरा जो है वो 9300 से 34800 है फिर इससे ऊपर का पे बैंड 15600 से 39100 का है। फिर पे बैंड के भीतर कर्मचारियों की वरीयता के हिसाब से उनकी ग्रेडेशन तय होती है। पे बैंड के बाद कर्मचारियों की सैलरी में ग्रेडेशन के आधार पर ग्रेड पे जोड़ा जाता है। उसके ऊपर कर्मचारियों को एचआरए और डीए का लाभ दिया जाता है।
अब समझते हैं सैलरी की गणना कैसे होती है?
मान लीजिए एक आदमी पहली बार सरकारी नौकरी ज्वाइन करता है और सबसे छोटे पद पर, तो वह तय किए गए न्यूनतम पे बैंड के तहत वेतन का हकदार होगा। सातवें वेतन आयोग की सिफारिशों के अनुसार यह पे बैंड 5200 से 20200 का है। अब इस पे बैंड के भीतर चार ग्रेड पे हैं। ये चार ग्रेड पे हैं 1800, 1900, 2000, 2400, 2800। हर चार साल की नौकरी के बाद एक कर्मचारी प्रमोट होकर अगले ग्रेड पे में पहुंच सकता है। हम न्यूनतम ग्रेड पे आधार पर आपको वेतन की गणना के बारे में बता रहे हैं।
वेतन की गणना का जो फॉर्मूला है वह क्या है?
पे बैंड+ग्रेड पे= बेसिक पे x फिटमेंट फेक्टर+ महंगाई भत्ता (डीए)+ आवास किराया भत्ता (एचआरए)+ यात्रा भत्ता= ग्रॉस सैलरी
इस फॉर्मूले के आधार पर सैलरी की गणना कैसे करते हैं?
आठवें वेतन आयोग की सिफारिशों के बाद क्या बदल सकता है?
यहां एक बात साफ है कि जब आठवें वेतन आयोग की सिफारिशें आएंगी, तो केंद्र में होगा फिटमेंट सेक्टर। अगर फिटमेंट फैक्टर को बढ़ाया जाता है तो कर्मचारियों की बेसिक सैलरी में जबरदस्त उछाल हो सकता है। चर्चा है कि आठवें वेतन आयोग की ओर से फिटमेंट फैक्टर को 2.57 से बढ़ाकर 2.86 किया जा सकता है। कर्मचारी संगठन सरकार से 3.0 के फिटमेंट फैक्टर की मांग कर रहे हैं। अब अगर नए वेतन आयोग ने पे बैंड या ग्रेड पे में बदलाव की कोई सिफारिश नहीं करे और केवल फिटमेंट फैक्टर को बढ़ाकर 2.86 कर दे, जो सैलरी में क्या बदलाव हो सकता है वह देख लीजिए।
महंगाई भत्ता नहीं मिला, तो कितनी हो सकती है नई सैलरी?
आठवें वेतन आयोग को मंजूरी के बाद लोगों के मन में एक और सवाल उठ रहा है। वह है महंगाई भत्ता और महंगाई राहत को लेकर। माना जा रहाह है कि 8वां वेतन आयोग लागू होते ही डीए और पेंशनधारकों को मिलनेवाला डीआर शून्य कर दिया जाएगा, क्योंकि 5वें वेतन आयोग में इसका प्रावधान था। इस प्रवाधान के तहत डीए और डीआर को 50% से ज्यादा होने पर उसे बेसिक सैलरी या बेसिक पेंशन में जोड़ दिया जाता था। हालांकि, छठे और सातवें वेतन आयोग की सिफारिशों में ऐसी कोई बात नहीं थी।
7वें वेतन आयोग में डीए और डीआर पर क्या कहा गया?
छठे और सातवें केंद्रीय वेतन आयोग में डीए को बेसिक पे में नहीं मर्ज किया गया। बल्कि नए वेतन आयोग की सिफारिशें लागू होने के बाद सैलरी, फिटमेंट फैक्टर के आधार पर तय होती है। ऐसे में इस समय महंगाई भत्ता इसमें शामिल नहीं होता है। महंगाई भत्ता आने वाले समय में या वेतन आयोग की सिफारिश के आधार पर इसमें जोड़ा जाता है। सामान्य तौर पर सरकार साल में दो बार महंगाई भत्ते में इजाफा करती है।
अगर महंगाई भत्ता न जोड़ी जाए तो कितनी बढ़ेगी सैलरी?
मान लीजिए, अगर सरकार नए वेतन आयोग की सिफारिश लागू करती है तो ऐसे में शुरुआत में महंगाई भत्ता इसमें शामिल नहीं होगी। तो फिर सैलरी की गणना कैसे होगी यह जानिए।
केवल फिटमेंट फैक्टर ही बदली तो कितने प्रतिशत बढ़ेगा न्यूनतम वेतन?
तो अगर नए वेतन आयोग ने अपनी सिफारिशों में सिर्फ और सिर्फ फिटमेंट फैक्टर को 2.57 से बढ़ाकर 2.86 कर दिया तो केंद्र सरकार में न्यूनतम वेतन पाने वाले कर्मचारियों की सैलरी में वर्तमान की तुलना में कम से कम 175% तक का इजाफा हो सकता है। वहीं, अगर नए वेतन आयोग के फैसले लागू होने के बाद शुरुआत में कर्मचारियों को महंगाई भत्ता नहीं भी मिली तो भी सैलरी में कम से कम 82% तक का इजाफा हो जाएगा। हालांकि फिलहाल ये सारी बातें सिर्फ कयास हैं। अभी वेतन आयोग के गठन को सरकार की हरी झंडी मिली है। अभी इसके सदस्य और अध्यक्ष तय होंगे। इसके बाद आयोग की बैठकें होंगी, तब जाकर वेतन आयोग की सिफारिशें आएंगी और तब ही कर्मचारियों के वेतन में कितना इजाफा होगा यह तय होगा।