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राजकीय महिला महाविद्यालय, नैमिषारण्य – फोटो : संवाद
विस्तार
यूपी के सीतापुर में राजकीय महिला महाविद्यालय, नैमिषारण्य में उच्च शिक्षा ग्रहण करना छात्राओं के लिए सपना बनकर रह गया है। करीब सात साल से छात्राएं महाविद्यालय में पढ़ाई शुरू होने की राह देख रही हैं, लेकिन उनका इंतजार खत्म होने का नाम नहीं ले रहा है। जिम्मेदारों की अनदेखी से उन्हें करीब 10 किलोमीटर दूर चलकर प्राइवेट महाविद्यालयों में दाखिला लेना पड़ रहा है। इससे उन्हें काफी भागदौड़ करनी पड़ती है।
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नैमिषारण्य जैसे महत्वपूर्ण पर्यटन स्थल पर कोई राजकीय महिला महाविद्यालय न होने पर शासन ने वर्ष 2016 में ठाकुरनगर गांव में इसके निर्माण की मंजूरी दी थी।इसके बाद 8 करोड़ 43 लाख 74 हजार रुपये की लागत से वर्ष 2017 में तीन मंजिला भवन बनकर तैयार हुआ था।
इससे छात्राओं को उम्मीद जगी थी कि वह दूरदराज न जाकर सीधे राजकीय महाविद्यालय में दाखिल लेंगी, लेकिन सात साल से यह उम्मीद पूरी नहीं हो पा रही है। हर साल जुलाई में महाविद्यालय शुरू होने की कवायद होती है, लेकिन यह अंजाम तक नहीं पहुंच पाती है। इससे छात्राओं को करीब 10 किमी दूर निजी महाविद्यालयों में पढ़ने जाना पड़ता है।
सहमति न मिलने से अटका संचालन
एक महाविद्यालय के प्राचार्य का कहना है कि पहले इस राजकीय महाविद्यालय को विश्वविद्यालय के माध्यम से चलाया जाना था। इसमें विश्वविद्यालय स्तर से स्टाफ की तैनाती व अन्य सुविधाएं मुहैया कराई जानी थीं, लेकिन इस नीति पर शासन स्तर से कुछ सहमति नहीं बन सकी। इससे संचालन अटका हुआ है।
सोशल मीडिया पर फूटा अभिभावकों का गुस्सा
महाविद्यालय के संचालन को लेकर सोशल एक्टिविस्ट विवेक शर्मा ने एक्स हैंडल पर एक पोस्ट शेयर की है। इसमें कहा कि जिले में दो राज्यमंत्रियों के होने के बावजूद छात्राओं की शिक्षा बाधित हो रही है। उनकी पोस्ट पर स्थानीय अभिभावकों ने कमेंट कर महाविद्यालय जल्द शुरू किए जाने की मांग की। अभिभावकों का कहना है कि बेटी बचाओ-बेटी पढ़ाओ की मुहिम कागजों तक सिमट कर रह गई है। इसका लाभ छात्राओं को नहीं मिल पा रहा है।
जल्द शुरू होगा कॉलेज
महाविद्यालय संचालन में शासन स्तर से कुछ समस्या आ रही थी। इसे दूर करने का प्रयास चल रहा है। उम्मीद है कि जल्द ही महाविद्यालय में पठन-पाठन शुरू हो जाएगा। –डॉ. सुधीर कुमार चौहान, क्षेत्रीय उच्च शिक्षाधिकारी