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आगरा में सहकारी गोदामों के निर्माण में फर्जीवाड़ा करने वाले ठेकेदार पर सहकारिता विभाग के अधिकारी मेहरबान रहे। टेंडर के दौरान जमा की गई एटा की फर्म की एफडीआर फर्जी निकलने पर भी एफआईआर नहीं कराई गई। उल्टा नियम विरुद्ध फर्जी एफडीआर बदलने की मोहलत ठेकेदार को दे दी गई। हालांकि इसके बाद भी ठेकेदार ने एफडीआर नहीं बदली।
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एटा की श्रीकृष्णा कंस्ट्रक्शन एंड सप्लायर्स ने आगरा में 21 सहकारी समितियों के गोदामों का ठेका लिया था। काम कराए बिना छह गोदामों का पूरा भुगतान करा लिया। वहीं ठेका लेने के दौरान लगाई गईं 10.80 लाख रुपये की 9 एफडीआर भी फर्जी निकलीं। ये एफडीआर जमानत राशि के रूप में विभाग के पास बंधक रहनी थीं।
शिकायत के बाद हुई जांच में इंडियन बैंक एटा ने मेल पर दिए गए जवाब में 13 फरवरी 2024 को ही एफडीआर फर्जी बता दी थीं। लेकिन इसके बाद भी जिम्मेदार चुप रहे। आठ महीने तक मामले को दबाए रखने के बाद एक बाद फिर 24 अक्तूबर 2024 को बैंक को पत्र भेजकर जवाब मांगा। बैंक ने 29 अक्तूबर को 5 दिन बाद ही इस पत्र का जवाब दिया और ये साफ कर दिया कि एफडीआर फर्जी हैं। ऐसे में विभाग की जिम्मेदारी बनती थी कि तत्काल फर्म को काली सूची में डालते हुए एफआईआर दर्ज कराई जाती। लेकिन अधिकारियों ने ठेकेदार पर कार्रवाई के बजाय उस पर मेहरबानी की।
उसे फर्जी एफडीआर बदलने के लिए मोहलत दे दी गई। ये मोहलत लखनऊ में 18 नवंबर 2024 को आयोजित बैठक में आयुक्त एवं निबंधक लखनऊ ने दी थी। हालांकि ठेकेदार ने फिर भी एफडीआर नहीं बदली। इस बात को दो माह बीते चुके हैं, लेकिन अब तक ठेकेदार पर न तो एफआईआर दर्ज हो सकी है और न ही उसकी फर्म काली सूची में डाली गई है।
सीएम की जीरो टॉलरेंस नीति को चुनौती
मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ भ्रष्टाचार और भ्रष्टाचारियों के विरुद्ध सरकार की जीरो टॉलरेंस नीति की बात पर जोर देते हैं। लेकिन सहकारिता विभाग के अधिकारी उनकी इस नीति को चुनौती दे रहे हैं।
जांच हुई तो फसेंगी कई की गर्दन
सहकारिता विभाग के अधिकारी गोदाम निर्माण फर्जीवाड़े में ऐसे ही हाथ पीछे नहीं खींच रहे हैं। दरअसल अगर इस पूरे मामले की गहन जांच हुई तो कई अधिकारियों की गर्दन फंसेंगी। इसीलिए विभाग और प्रशासन मामले को दबाने की कोशिश में लगा है।