मध्य प्रदेश के कूनो के बाद साउथ अफ्रीका से आने वाले चीतों का नया आशियाना गांधी सागर अभयारण्य बनेगा। व्यवस्थाएं परखने के लिए आईवीआरआई के वैज्ञानिकों की टीम 23 फरवरी को वहां पहुंचेगी। टीम चीतों के क्वारंटीन समेत आवास, खाने आदि की व्यवस्था परखेगी।
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गांधी सागर अभयारण्य को चीतों के लिए तैयार किया जा रहा है। अभयारण्य प्रशासन की ओर से तैयारियां लगभग पूरी हो चुकी हैं। अब सिर्फ चीतों के पहुंचने का इंतजार है।ऐसे में उनके लिए तैयार किए गए बाड़े में सुरक्षा के इंतजाम, बाहर से आने वाले चीतों की जांच और उनको क्वारंटीन करने की व्यवस्था, खानपान, अभयारण्य में मौजूद अन्य जानवरों से संभावित संघर्ष से बचाव के इंतजाम, शारीरिक स्फूर्ति बनी रहे और उन्हें कोई नुकसान न हो आदि बिंदुओं पर वैज्ञानिक पड़ताल करेंगे। लंबी दूरी तय करने की वजह से चीते थके होंगे। लिहाजा, उनके लिए बोमा (मांद) जरूरी है।
आईवीआरआई के वैज्ञानिकों के मुताबिक अगर चीतों को अभयारण्य में रह रहे जानवरों के साथ छोड़ दिया जाएगा तो उनके संक्रमित होने की आशंका रहेगी। लिहाजा, प्रत्येक संभावित खतरे से उन्हें सुरक्षित करना प्राथमिकता रहेगी। बाउंड्री से कुछ दूरी पर लोहे की फेंसिंग करानी होगी।