Dadi-Nani Ki Baatein: पूजा-पाठ करते समय जिस प्रकार से नियम और विधियों का ध्यान रखा जाता है, उसी तरह दिशा का भी ध्यान रखना जरूरी होता है. वास्तु शास्त्र में पूजा-पाठ के लिए विशेष दिशा निर्धारित की गई है. घर-बड़े बुजुर्ग या दादी-नानी भी गलत दिशा में बैठकर पूजा करने पर हमें टोका करती हैं.
दादी-नानी की ये बातें आपको कुछ समय के लिए अटपटी या फिर मिथक जरूर लग सकती है. लेकिन शास्त्र में इसके कारण और इससे होने वाले नुकसान के बारे में बताया गया है. अगर आप दादी-नानी की बताई बातों को फॉलो करेंगे तो सुखी रहेंगे और भविष्य में होनी वाली अशुभ घटना से बच जाएंगे. आइए जानते हैं आखिर क्यों करना चाहिए पूर्वाभिमुख होकर पूजा, क्या है इसके लाभ.
पूर्वाभिमुख होकर पूजा करने के लाभ
पूर्वाभिमुख होकर पूजा करना यानी पूर्व दिशा की ओर मुख करके पूजा करना सबसे शुभ माना जाता है. इसका कारण यह है कि इस दिशा को शक्ति और शौर्य का प्रतीक माना गया है. सूर्य के उदित होने की दिशा की ओर मुख करके और अस्त होने की दिशा यानी पश्चिम की ओर पीठ करके पूजा करना सबसे उत्तम होता है. धार्मिक मान्यता के अनुसार पूर्वाभिमुख होकर बैठना भी ज्ञान प्राप्ति के लिए अच्छा माना जाता है.
ज्योतिषाचार्य अनीष व्यास भी बताते हैं कि, पूर्वाभिमुख होकर पूजा-पाठ करने से व्यक्ति की क्षमता और सामार्थ्य में वृद्धि होती है और सकारात्मक ऊर्जा का संचार होता है. साथ ही इस दिशा में यदि पूजा स्थल हो तो घर-परिवार में भी सुख-शांति, समृद्धि, प्रसन्नता और सेहत लाभ होता है.
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