Mahashivratri 2025: साल 2025 में महाशिवरात्रि का पर्व 26 फरवरी, 2025 के दिन मनाया जाएगा. शिव भक्तों के लिए महाशिवरात्रि का दिन बहुत खास होता है और भक्त साल भर इस दिन का इंतजार करते हैं. ऐसी मान्यता है इस दिन भोलेनाथ और मां पार्वती का विवाह हुआ था. इसीलिए इस दिन भक्त भोलेनाथ की आराधना करते हैं और इस दिन शिव जी की पूजा करने से वह जल्दी प्रसन्न हो जाते हैं.
पंचक्रोशी यात्रा
महाशिवरात्रि के दिन शिव भक्त पंचक्रोशी यात्रा करते हैं. जानते हैं क्या है पंचक्रोशी यात्रा और इस यात्रा का प्रभु श्री राम से क्या संबंध हैं. पंचक्रोशी यात्रा की शुरूआत त्रेता युग में भगवान श्री राम ने की थी. श्री राम के पंचक्रोशी यात्रा के पीछे की वजह मानें तो इस यात्रा को मर्यादा पुरुषोत्तम राम ने अपने पिता राजा दशरथ को श्रवण कुमार के पिता के श्राप से मुक्ति दालने के लिए किया था. अनजाने में राजा दशरथ के वार से श्रवण कुमार की मृत्यु हो गई थी. पुत्र के वियोग में श्रवण कुमार के वृध माता-पिता ने राजा दशरथ को पुत्र वियोग में तड़प-तड़प कर मरने का श्राप दिया था. अपने पिता तो इस श्राप से मुक्ति दिलाने के लिए श्री राम जी ने पंचक्रोशी यात्रा की थी. ऐसा माना जाता है इस यात्रा को करने से मनोवांछित फल की प्राप्ति होती है.
महाशिवरात्रि के शुभ अवसर पर भगवान शिव के भक्त पंचक्रोशी यात्रा करते हैं. पंचक्रोशी यात्रा धार्मिक स्थल उज्जैन और वाराणसी से की जाती है. उज्जैन और वाराणसी दोनों ही शिव भगवान की नगरी हैं. उज्जैन में पंचक्रोशी यात्रा वैशाख माह में की जाती है. इस दौरान पिंगलेश्वर, कायावरोहणेश्वर, विल्वेश्वर, दुर्धरेश्वर, नीलकंठेश्वर में स्थित शिव मंदिरों में बाबा के दर्शन किए जाते हैं.
शिव नगरी काशी गंगा में मणिकर्णिका घाट से ही पंचक्रोशी यात्रा की शुरुआत होती है. शिवरात्रि के दिन पंचक्रोशी यात्रा की शुरुआत मध्य रात्रि से होती है. इस स्थान से श्रद्धालु कर्दमेश्वर की यात्रा करते हैं यहां से भीम चंडी, भीम चंडी रामेश्वर, शिवपुर, कपिलधारा से पुनः मणिकर्णिका घाट की यात्रा की जाती है.
Disclaimer: यहां मुहैया सूचना सिर्फ मान्यताओं और जानकारियों पर आधारित है. यहां यह बताना जरूरी है कि ABPLive.com किसी भी तरह की मान्यता, जानकारी की पुष्टि नहीं करता है. किसी भी जानकारी या मान्यता को अमल में लाने से पहले संबंधित विशेषज्ञ से सलाह लें.