{“_id”:”67b661b8263d7d430e01ad63″,”slug”:”current-financial-year-food-grain-production-expectation-over-33-crore-tonnes-hope-of-increase-in-exports-2025-02-20″,”type”:”story”,”status”:”publish”,”title_hn”:”खाद्यान्न उत्पादन पर अच्छी खबर: चालू वित्त वर्ष में 33.57 करोड़ टन पैदावार की आशा, निर्यात भी बढ़ने के संकेत”,”category”:{“title”:”Business Diary”,”title_hn”:”बिज़नेस डायरी”,”slug”:”business-diary”}}
सांकेतिक तस्वीर – फोटो : अमर उजाला।
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भारत खाद्यान्न की कमी वाले देश से खाद्यान्न अधिशेष वाला देश बन गया है। पीएचडीसीसीआई के अनुसार, 2024-25 में खाद्यान्न उत्पादन दो फीसदी बढ़कर 33.57 करोड़ टन हो सकता है। कृषि और प्रसंस्कृत खाद्य उत्पादों के निर्यात में वृद्धि का संकेत मिलता है, जिसमें वित्त वर्ष 2030 तक निर्यात 125 अरब डॉलर और 2035 तक 250 अरब डॉलर हो सकता है।
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रिपोर्ट के अनुसार, वित्त वर्ष 2040 तक 450 अरब डॉलर और वित्त वर्ष 2047 तक 700 अरब डॉलर तक कृषि और प्रसंस्कृत खाद्य उत्पादों का निर्यात होने का अनुमान है। देश का खाद्य प्रसंस्करण क्षेत्र वित्त वर्ष 2030 तक 700 अरब डॉलर, वित्त वर्ष 2035 तक 1,100 अरब डॉलर और 2047 तक 2,150 अरब डॉलर तक पहुंचने की उम्मीद है।
रिपोर्ट में कहा गया है कि कुछ राज्य कृषि प्रदर्शन में बेहतर हैं, लेकिन उनकी कुल आर्थिक वृद्धि मामूली बनी हुई है। यह आर्थिक विकास को आगे बढ़ाने के लिए कृषि सफलता का बेहतर लाभ उठाने के अवसर को उजागर करता है। कृषि और अन्य क्षेत्रों के बीच संबंधों को मजबूत कर ये राज्य विकास के नए रास्ते खोल सकते हैं।
विश्लेषण से पता चलता है कि भारत में खाद्यान्न उत्पादन बिजली की उपलब्धता, भंडारण क्षमता और कुल सिंचित क्षेत्र जैसे कारकों से काफी प्रभावित होता है। देश का चावल निर्यात जनवरी 2024 में 0.95 अरब डॉलर से जनवरी 2025 में 44.61 प्रतिशत बढ़कर 1.37 अरब डॉलर हो गया है। इसी तरह, सोयाबीन का निर्यात भी महीने के दौरान रिकॉर्ड ऊंचाई पर पहुंच गया है।