लखनऊ। पूर्वोत्तर रेलवे लखनऊ मण्डल के मण्डल रेल प्रबन्धक श्री गौरव अग्रवाल की अध्यक्षता में आज अपर मण्डल रेल प्रबन्धक (परिचालन) श्री विक्रम कुमार एवं अपर मण्डल रेल प्रबन्धक (इंफ्रा) श्री भुवनेश सिंह की उपस्थिति में मण्डल रेल प्रबन्धक कार्यालय के बहुउददेशीय हाल में इंजीनियरिंग विभाग के अधिकारियों एवं कर्मचारियों के साथ ‘ग्रीष्मकाल एवं मानसून के दौरान बरती जाने वाली सावधानियां’, ’वर्क साइड प्रोटेक्शन’ व ’यूएसएफडी’ विषयों पर ‘संरक्षा सेमिनार’ का आयोजन किया गया।
कार्यक्रम के आरम्भ में मण्डल रेल प्रबन्धक श्री गौरव अग्रवाल ने अपने सम्बोधन में कहा कि इस तरह के सेमिनार के आयोजित होने से लाइन कर्मचारियों को नई तकनीक एवं नये पाठयक्रम की जानकारियॉ प्राप्त होती है। मण्डल में नियमित संरक्षा सेमिनार फील्ड स्तर पर भी समय-समय पर आयोजित किये जाये। आप सभी रेलवे के फ्रंटलाइन रेलकर्मी हैं। ग्रीष्मकालीन पेट्रोलिंग के समय रेलवे ट्रैक की संरक्षा के साथ-साथ अपनी सुरक्षा का भी ध्यान रखना है। हमें शून्य दुर्घटना का लक्ष्य प्राप्त करने हेतु नियमों एवं मानकों का पालन करना अति आवश्यक है। उन्होंने कहा कि दुर्घटनाओं को रोकने हेतु अधिकारियों एवं कर्मचारियों को आपसी समन्वय के साथ गंभीरता से नियमों का पालन करना होगा।
इस अवसर पर अपर मण्डल रेल प्रबन्धक (इंफ्रा) श्री भुवनेश सिंह ने कहा कि रेलवे लाइन पर बैलास्ट की पूर्ति समय से पूर्ण करना सुनिश्चित किया जाये एवं पैट्रोलमैन द्वारा ग्रीष्मकालीन पेट्रोलिंग के दौरान स्वयं को गर्मी से बचाव के साथ-साथ आवश्यक संरक्षा अनुरक्षण उपकरणों के साथ कार्य किया जाये।
सेमिनार में सीनियर सेक्शन इंजीनियर/पीवे/प्रशिक्षण केन्द्र ऐशबाग श्री अनुज कुमार गुप्ता ने ’ग्रीष्मकालीन पेट्रोलिंग’ एवं श्री मनोरंजन यादव ने ’इंजीनियरिंग वर्क कैटेगरी’, सीनियर सेक्शन इंजीनियर/पीवे/यूएसएफडी श्री अमित कुमार मल्ल ने ’बेसिक यूएसएफडी’, सहायक मण्डल इंजीनियर/मैलानी श्री प्रभात कुमार ने ’गीष्मकालीन सावधानियॉ’ तथा सहायक मण्डल इन्जीनियर/सीतापुर श्री आर.के.मिश्रा ने ’एलडब्लूआर डिस्ट्रैसिंग’ आदि विषयों पर पावर प्वाइण्ट के माध्यम से प्रस्तुति दी तथा चर्चा के दौरान उपस्थित सीनियर सेक्शन इंजीनियर/पीवे, मेट, की-मैन, गेटमैन व ट्रैक मेन्टेनरों के प्रश्नों के उत्तर दिए।
इस अवसर पर वरिष्ठ मण्डल संरक्षा अधिकारी, वरिष्ठ मण्डल इंजीनियर/समन्वय, वरिष्ठ मण्डल इंजीनियर (द्वितीय), वरिष्ठ मण्डल इंजीनियर (तृतीय) व सभी रेलखण्डों के सहायक मण्डल इंजीनियर, सहायक संरक्षा अधिकारी एवं अन्य अधिकारी व कर्मचारीगण उपस्थित थे।
भारतीय रेलवे में सुरक्षा एवं संरक्षा परिचालन रेल संचालन की रीढ़ हैं, जो यात्रियों और रेल संपत्तियों की सुरक्षा सुनिश्चित करते हैं। पूर्वोत्तर रेलवे लखनऊ मंडल यात्रियों की सुरक्षा और संरक्षा के लिए प्रतिबद्ध है, रेल यात्रियों की सुरक्षा को सर्वोच्च प्राथमिकता देते हुए सुरक्षा संबंधी कार्यों को गति प्रदान की जा रही है। इन कार्यों के माध्यम से रेल सेवाओं को और अधिक विश्वसनीय बनाने का प्रयास किया जा रहा है।

क्या होती है USFD testing : (Flaw detection & its corrective action)
यूएसएफडी मशीन, अल्ट्रासाउंड तकनीक का उपयोग करती हैं, जिससे वह रेल पटरियों के अंदर मौजूद दोषों को डिटेक्ट कर सकती हैं, जो कि बाहर से दिखाई नहीं देते हैं। यह तकनीक इस लिए भी महत्वपूर्ण है क्योंकि यह रेलवे ट्रैक की सुरक्षा और विश्वसनीयता सुनिश्चित करने में मदद करती है। यूएसएफडी मशीन के उपयोग के दौरान एक अल्ट्रासोनिक मशीन द्वारा रेललाइन पर उच्च-आवृत्ति ध्वनि तरंगें भेजी जाती है, जो रेललाइन के अंदर दोष होने पर परावर्तित होती हैं। यह मशीन दोषो के प्रकार (जैसे ट्रांसवर्स क्रैक, वेल्ड दोष) और उसकी गंभीरता को रिकॉर्ड करती है। रेलवे इंजीनियर द्वारा डेटा का विश्लेषण करके दोष की गंभीरता का आकलन किया जाता है।

सुधारात्मक कार्रवाई के अन्तर्गत यदि पाया गया दोष गंभीर प्रकृति का है (जैसे बड़ी दरार), तो प्रभावित रेल खंड को तुरंत बदला जाता है। छोटे दोषों को वेल्डिंग या ग्राइंडिंग द्वारा ठीक किया जा सकता है। दोष ठीक होने तक ट्रेन की गति पर अस्थायी प्रतिबंध भी लगाया जाता है। इस सारी प्रक्रिया के उपरांत भी दोषग्रस्त खंड की नियमित निगरानी की जाती है।
यूएसएफडी परीक्षण नियमित अंतराल पर (आमतौर पर रेल का परीक्षण 1-4 महीने में एवं वेल्ड का परीक्षण 1-3 वर्ष में ट्रैफिक घनत्व के आधार पर) किया जाता है। भारतीय रेलवे द्वारा यूएसएफडी टेस्टिंग के लिए उन्नत मशीनें और आरडीएसओ द्वारा प्रशिक्षित कर्मचारी तैनात किए गये हैं। पूर्वोत्तर रेलवे लखनऊ मण्डल में प्रतिदिन औसतन 15 किलोमीटर रेल लाइन की यूएसएफडी टेस्टिंग विभिन्न टीमों द्वारा मण्डल के रेल खण्डों पर की जा रही है।