बॉम्बे हाईकोर्ट ने बुधवार को कहा कि कबूतरों को दाना डालना सार्वजनिक उपद्रव पैदा करता है और लोगों की सेहत के लिए भी खतरा पैदा करता है। हाईकोर्ट ने मुंबई नगर निगम को ऐसी गतिविधियों में शामिल लोगों के खिलाफ एफआईआर दर्ज करने का निर्देश दिया।
न्यायमूर्ति जीएस कुलकर्णी और न्यायमूर्ति आरिफ डॉक्टर की पीठ ने पशु प्रेमियों के एक समूह द्वारा दायर याचिका पर सुनवाई की। इस दौरान हाईकोर्ट ने कहा कि यह मुद्दा जन स्वास्थ्य से जुड़ा है और सभी उम्र के लोगों के स्वास्थ्य के लिए गंभीर और संभावित खतरा है।
अदालत ने बीएमसी को कबूतरखानों को ध्वस्त करने से रोका था
अदालत ने इस महीने की शुरुआत में बृहन्मुंबई नगर निगम (बीएमसी) को महानगर में किसी भी पुराने विरासत वाले ‘कबूतरखानों’ को ध्वस्त करने से रोक दिया था, लेकिन कहा था कि वह इन पक्षियों को दाना डालने की अनुमति नहीं दे सकती। अदालत ने बुधवार को कहा कि अनुमति न मिलने के बावजूद, लोग इन ‘कबूतरखानों’ में कबूतरों को दाना डालना जारी रखे हुए हैं।
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अदालत ने बीएमसी को दाना डालने वाले लोगों को दंडित करने का निर्देश दिया
पीठ ने कहा कि यह स्थिति अब कानून की घोर अवहेलना की उभरती स्थिति से और भी जटिल हो गई है, क्योंकि हमारे पहले के आदेश में कबूतरों को दाना डालने और उनके जमावड़े का समर्थन करने वाली याचिकाओं को खारिज कर दिया गया था। अब नगर निगम के अधिकारियों को इस संबंध में अपने कर्तव्यों का निर्वहन करने से रोका जा रहा है। इसके बाद हाईकोर्ट ने बीएमसी को अपने निर्देशों की अवहेलना करके कबूतरों को दाना डालने वालों को दंडित करने का निर्देश दिया।
हाईकोर्ट ने कहा, ‘हम नगर निगम को ऐसे किसी भी व्यक्ति/व्यक्तियों के विरुद्ध मुकदमा चलाने की अनुमति देते हैं जो एमसीजीएम (महानगर निगम) द्वारा जारी निर्देशों की अवहेलना करते हुए कबूतरों को दाना डालना जारी रखते हैं, क्योंकि हमारी स्पष्ट राय में, ऐसे कृत्य सार्वजनिक उपद्रव का कारण बनेंगे और बीमारियां फैला सकते हैं तथा मानव जीवन को खतरे में डाल सकते हैं।’
नगर निगम सभी आवश्यक कदम उठाएगा
पीठ ने कहा कि नगर निगम महानगर के विभिन्न ‘कबूतरखानों’ में कबूतरों के जमावड़े को रोकने के लिए सभी आवश्यक कदम उठाएगा और कड़े उपाय लागू करेगा, जैसा कि वह उचित समझे। अदालत ने कहा कि आज की मुख्य चिंता फिर से सबसे महत्वपूर्ण पहलू की है- यानी संबंधित कबूतरखानों में कबूतरों के जमावड़े से उत्पन्न खतरे से मानव स्वास्थ्य की सुरक्षा।
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अदालत पशु प्रेमियों की याचिका पर कर रही थी सुनवाई
अदालत पशु प्रेमी पल्लवी पाटिल, स्नेहा विसारिया और सविता महाजन की याचिका पर सुनवाई कर कर रही थी, जिन्होंने दावा किया था कि बीएमसी ने बिना किसी कानूनी आधार के 3 जुलाई से ‘कबूतरखानों’ को ध्वस्त करना शुरू कर दिया था। उन्होंने तर्क दिया कि बीएमसी का कृत्य पशु क्रूरता निवारण अधिनियम का उल्लंघन करता है।