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अध्ययन के दौरान दुनियाभर के 93 ऐसे शहरों और इलाकों की जलवायु संबंधी परिस्थितियों का विश्लेषण किया गया, जिन्होंने पहले शीतकालीन ओलंपिक और पैरालंपिक खेलों की मेजबानी की थी। इसमें पाया कि दुनियाभर के तापमान में लगातार हो रही वृद्धि के कारण इन आयोजनों के लिए आने वाले समय में जलवायु संबंधी विश्वसनीय स्थलों में भारी कमी आने के आसार हैं।
जलवायु परिवर्तन (सांकेतिक तस्वीर) – फोटो : ANI
विस्तार
जलवायु परिवर्तन शीतकालीन ओलंपिक और पैरालंपिक खेलों की मेजबानी के भविष्य को भी खतरे में डाल रहा है। 2050 तक 93 में से केवल 52 स्थान ही जलवायु के मामले में विश्वसनीय रहेंगे और खेलों के आयोजन के लायक होंगे। यह खुलासा वाटरलू विश्वविद्यालय के शोधकर्ताओं की अगुवाई में किए गए शोध अध्ययन में किया गया है। इसके निष्कर्ष करंट इश्यूज इन टूरिज्म नामक पत्रिका में प्रकाशित किए गए हैं।
अध्ययन के दौरान दुनियाभर के 93 ऐसे शहरों और इलाकों की जलवायु संबंधी परिस्थितियों का विश्लेषण किया गया, जिन्होंने पहले शीतकालीन ओलंपिक और पैरालंपिक खेलों की मेजबानी की थी। इसमें पाया कि दुनियाभर के तापमान में लगातार हो रही वृद्धि के कारण इन आयोजनों के लिए आने वाले समय में जलवायु संबंधी विश्वसनीय स्थलों में भारी कमी आने के आसार हैं। अनुमान के अनुसार, हालात इस कदर बिगड़ रहे हैं कि 2080 तक केवल 46 स्थान ही जलवायु के मामले में स्वच्छ हवा के साथ भरोसेमंद रहेंगे।
पैरालंपिक आयोजन स्थलों की स्थिति और अधिक भयावह
पैरालिंपिक शीतकालीन खेलों के आयोजन स्थलों की स्थिति और अधिक भयावह है। इन खेलों के लिए स्थान आमतौर पर सीजन के अंत में निर्धारित किए जाते हैं। अध्ययन के मुताबिक, इन खेलों के लिए 2050 में केवल 22 और 2080 के दशक में सिर्फ 16 ही भरोसेमंद स्थान होंगे। इससे साबित होता है कि जलवायु परिवर्तन शीतकालीन ओलंपिक व पैरालंपिक खेलों की सांस्कृतिक विरासत के लिए बड़ा खतरा बनकर उभर रहा है।
अंतरराष्ट्रीय ओलंपिक समिति (आईओसी) के मुताबिक, अध्ययन पुष्टि करता है कि भविष्य में तैयार होने वाले ओलंपिक एजेंडा खासतौर से शीतकालीन खेलों के भविष्य की रक्षा करने में योगदान देंगे, ताकि हम एक या अधिक क्षेत्रों में इनका आयोजन करा सकें।