{“_id”:”678ad88c9bc7bc05e50fc0e3″,”slug”:”delhi-assembly-elections-2025-not-an-alliance-delhi-supports-one-party-2025-01-18″,”type”:”story”,”status”:”publish”,”title_hn”:”दिल्ली विधानसभा चुनाव 2025 : गठबंधन नहीं, दिल्ली देती है एक दल का साथ; गवाह है इतिहास”,”category”:{“title”:”City & states”,”title_hn”:”शहर और राज्य”,”slug”:”city-and-states”}}
file pic – फोटो : अमर उजाला
विस्तार
दिल्ली की राजनीति में गठबंधन की भूमिका हमेशा से चर्चा का विषय रही है। हालांकि, अब तक के अनुभवों से स्पष्ट होता है कि भाजपा, कांग्रेस और जनता दल के लिए गठबंधन करना फायदे का सौदा साबित नहीं हुआ है। दिल्ली विधानसभा चुनावों के इतिहास में कई बार गठबंधन किए गए, लेकिन इनका परिणाम अपेक्षित सफलता नहीं दे पाया। इसके बावजूद भाजपा ने इस बार फिर अपने दो साथी दलों के साथ गठबंधन किया है, जबकि कांग्रेस व आम आदमी पार्टी अकेले चुनाव लड़ रही हैं।
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भाजपा ने अब से पहले छह बार दिल्ली विधानसभा चुनावों में गठबंधन किया है, लेकिन एक भी बार वह गठबंधन के जरिए सत्ता हासिल करने में सफल नहीं हो सकी। उसका गठबंधन वर्ष 2013 में कामयाब होता दिखा, जब भाजपा व शिरोमणि अकाली दल के साथ मिलकर चुनाव लड़ा था। इस चुनाव में अकाली दल दो सीटों पर चुनाव लड़ा। नतीजों में अकाली दल को एक सीट पर जीत हासिल हुई। वहीं, वर्ष 2008 और 2015 के चुनावों में अकाली दल ने भाजपा के साथ एक-एक सीट पर चुनाव लड़ा, लेकिन उसे हार का सामना करना पड़ा।
भाजपा ने वर्ष 1998 में इंडियन नेशनल लोकदल (आईएनएलडी) के साथ समझौता किया था। उसने भाजपा के साथ मिलकर तीन सीटों पर चुनाव लड़ा, लेकिन एक पर भी जीत नहीं मिली। यहां तक कि एक सीट पर तो जमानत भी जब्त हो गई। वर्ष 2020 के चुनावों में लोकजनशक्ति पार्टी (लोजपा) ने एक और जनता दल (यू) ने दो सीटों पर भाजपा के साथ गठबंधन में चुनाव लड़ा। परिणामस्वरूप, तीनों सीटों पर उन्हें हार का सामना करना पड़ा। इस बार भाजपा ने फिर से लोकजनशक्ति पार्टी और जनता दल (यू) के साथ समझौता किया है। भाजपा ने उनको एक-एक सीट दी है। देखने वाली बात यह होगी कि इस गठबंधन को कितनी सफलता मिलती है।
कांग्रेस का सीमित गठबंधन प्रयोग
कांग्रेस ने दिल्ली विधानसभा चुनावों में सिर्फ एक बार गठबंधन किया है। वर्ष 2020 में उसने राष्ट्रीय जनता दल (आरजेडी) के साथ चुनाव लड़ा। इस गठबंधन में आरजेडी ने चार सीटों पर चुनाव लड़ा, लेकिन कांग्रेस की तरह उसका भी खाता नहीं खुला। इस बार कांग्रेस ने इंडिया गठबंधन के किसी भी साथी के साथ समझौता नहीं किया। हालांकि, पहले चर्चा थी कि वह सपा व आरजेडी के साथ समझौता करेगी।
1993 का ऐतिहासिक गठबंधन
जनता दल से अलग-अलग हुए दलों (सपा को छोड़कर) ने वर्ष 1993 में मिलकर चुनाव लड़ा। इस चुनाव में 70 सीटों पर साझा उम्मीदवार खड़े किए गए, उन्होंने एक ही चुनाव चिह्न पर चुनाव लड़ा था, लेकिन उनके उम्मीदवारों को केवल चार सीटों पर सफलता हासिल हुई।