Mahakumbh 2025 IIT Baba: उत्तर प्रदेश के प्रयागराज में महाकुंभ चल रहा है. महाकुंभ जैसा भव्य धार्मिक आयोजन का उत्सव और इसमें शामिल होने वाले साधु-संत आम जनमानस में भी आस्था और विश्वास को बढ़ाते हैं. साथ ही समाज में यह संदेश देते हैं कि, व्यक्ति की असल पहचान आंतरिक शांति, संतुलन, संतोष और आत्मिक अनुभव की खोज है.
महाकुंभ में कई बाबा, साधु-संत और संन्यासी इनदिनों चर्चा का विषय बने हुए हैं. इस बीच अभय सिंह खासा चर्चा में हैं. इनकी फोटो-वीडियो लगातार सोशल मीडिया पर वायरल हो रही है. रुद्राक्ष की माला धारण किए शांत चेहरे वाले अभय सिंह के साधु जीवन ने हर किसी ने मन में सवाल पैदा कर दिया कि, उन्हें आखिर किस चीज की खोज थी, जिस कारण उन्होंने भक्ति और आध्यात्मक का मार्ग अपानाया. अभय सिंह के जीवन को देख यह कहना गलत नहीं होगा कि वे भौतिक सुखों से परे कुछ अर्थपूर्ण ढूंढ रहे हैं.
कौन है महाकुंभ के IITian बाबा अभय सिंह
इन्होंने अपना नाम अभय सिंह ग्रेवाल बताया है, जोकि महाकुंभ में IITian बाबा के नाम से मशहूर हैं. अभय सिंह मूलरूप से हरियाणा के झज्जर जिले के छोटे से गांव सासरौली से जुड़े हैं. अभय अपने परिवार के इकलौटे बेटे हैं. इनकी एक बहन है जोकि परिवार के साथ कनाडा में है. अभय ने मीडिया से बातचीत करते हुए बताया कि, वे पढ़ाई में काफी होशियार रहे हैं. उन्हें पहाड़ों में घूमना और फोटोग्राफी का शौक रहा है. फिलहाल एक साल से वे अपने परिवार वालों के संपर्क में नहीं हैं.
ये पढ़ाई के मामले में हमेशा अव्वल रहें. डी.एच.लारेंस स्कूल में पढ़ाई करते हुए इन्होंने टॉप किया और साल 2008 में 731वीं रैंक के साथ मुंबई के आईआईटी में दाखिला लिया. यहां से एरोस्पेस इंजीनियरिंग की पढ़ाई करने के दौरान इन्होंने दर्शनशास्त्र की पढ़ाई भी की.
विज्ञान की दुनिया में पंख फैलाने के बजाय चुना वैराग्य जीवन
अभय सिंह ने महाकुंभ के दौरान कई मीडिया को इंटरव्यू दिए और बताया कि, 2021 में वे कनाडा से लौटे और इसके बाद से महादेव की शरण में हैं. महादेव इन्हें वो रास्ता दिखा रहे हैं, जिस रास्ते पर चलने की वे 9 साल पहले तलाश कर रहे थे. लोगों का ध्यान इनकी ओर इसलिए भी आकर्षित हुआ और सोचने पर मजबूत किया कि, प्रतिष्ठित संस्थान से डिग्री हासिल करने के बावजूद भी इन्होंने विज्ञान की दुनिया में अपने पंख फैलाने ते बजाय धर्म से जुड़कर संन्यासी और वैराग्य जीवन को अपनाया. अभय सिंह ने आखिर क्यों आधुनिक तकनीक और विज्ञान की चकाचौंध छोड़ आधात्यम की शरण की राह पकड़ ली.
महाकुंभ के इंजीनियरिंग बाबा अभय बताते हैं कि, उन्होंने अपने सब्जेक्ट से इतर जाकर दर्शनशास्त्र की पढ़ाई की. उन्होंने जीवन के सही अर्थ को समझने के लिए नवउत्तरावाद, सुकरात, प्लेटो के आर्टिकल और किताबें पढ़नी शुरू की और एक समय ऐसा आया जब आध्यात्म के मार्ग पर निकल पड़े.
महादेव को समर्पित किया पूरा जीवन
मीडिया से बात करते हुए उन्होंने बताया कि, अब उनका पूरा जीवन महादेव को समर्पित है. उन्हे अब आध्यात्म में ही मजा आ रहा है. वो साइंस के जरिए ही गहराई से आध्यात्म को समझने का प्रयास कर रहे. वो कहते हैं- सब कुछ शिव है, सत्य ही शिव है और शिव ही सुंदर है. अभय आध्यात्म जीवन को जिंदगी का बेस्ट स्टेज बताते हैं. वो कहते हैं कि जब आप ज्ञान का पीछा करेंगे तो आखिरकार आप यहीं पहुंचेंगे.
माता-पिता नहीं है भगवान
अपने एक पोस्ट में अभय सिंह कहते हैं कि, मां-बाप भगवान नहीं है, बल्कि भगवान ही भगवान है. यदि मां बाप भगवान है तो फिर वैसे तो सभी भगवान हैं. “जिसे हम ईश्वर या विलक्षणता कहते हैं, अगर वह एकमात्र सत्य है और बाकी सब कुछ उसका अपवर्तक रूप है, तो आप खुद तय करें कि मां बड़ी है या भगवान. मूल रूप से लोग मां के लिए भगवान शब्द का इस्तेमाल करते हैं. बिना यह जाने कि इसका क्या अर्थ है, अब यह देवी भी हो सकती है या विश्व माता भी हो सकती है. लेकिन मुद्दा यह है कि यह सत्य होना चाहिए. माया आधारित रचनाओं की उससे तुलना करना जो इन सबके लिए जिम्मेदार है, बिल्कुल बेवकूफी है.”
आंखों के बारे में अभय कहते हैं कि, “आपकी आंखें एक यंत्र हैं, जिनसे आप एक विशिष्ट तरीके से ऊर्जा और शक्ति को बनते या बिगड़ते देख सकते हैं. क्या देखना है ये आप पर निर्भर करता है.”
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