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Supreme Court – फोटो : PTI
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मथुरा की शाही मस्जिद समिति ने सुप्रीम कोर्ट में याचिका दायर कर उपासना स्थल अधिनियम के खिलाफ दाखिल याचिकाओं में जवाब दाखिल करने के केंद्र के अधिकार को खत्म करने की मांग की है। समिति ने भाजपा नीत केंद्र सरकार पर इस मामले में जवाब देने में जानबूझकर देरी करने का आरोप लगाया है। शीर्ष अदालत ने मार्च 2021 में केंद्र को नोटिस जारी किया था। हालांकि, केंद्र सरकार ने कई मौकों के बावजूद अपना जवाब दाखिल नहीं किया है।
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सुप्रीम कोर्ट ने केंद्र को दिया चार हफ्ते का समय
मस्जिद समिति ने याचिका में कहा कि केंद्र के इस रवैये का उद्देश्य वर्तमान रिट याचिका और संबंधित रिट याचिकाओं की सुनवाई में देरी करना है। जिससे पूजा स्थल (विशेष प्रावधान) अधिनियम, 1991 को चुनौती देने वालों को अपनी-अपनी लिखित प्रस्तुतियां/प्रतिक्रियाएं दाखिल करने में बाधा हो रही है, क्योंकि केंद्र के रुख का उस पर असर पड़ेगा। समिति ने बताया कि 12 दिसंबर, 2024 को सुप्रीम कोर्ट ने केंद्र को जवाब दाखिल करने के लिए चार सप्ताह का समय दिया था लेकिन वह ऐसा करने में विफल रहा।
शाही मस्जिद समिति ने कहा कि चूंकि सुप्रीम कोर्ट ने वर्तमान रिट याचिका और संबंधित रिट याचिकाओं की सुनवाई की तिथि 17 फरवरी तय की है इसलिए यह न्याय के हित में होगा कि केंद्र के जवाबी हलफनामा या जवाब दाखिल करने के अधिकार को समाप्त कर दिया जाए।
सुप्रीम कोर्ट ने सभी अदालतों को दिए निर्देश
सुप्रीम कोर्ट ने 12 दिसंबर, 2024 को 1991 के कानून के खिलाफ कई याचिकाओं पर कार्रवाई करते हुए सभी अदालतों को नए मुकदमों पर विचार करने और धार्मिक स्थलों को पुनः प्राप्त करने की मांग करने वाले लंबित मामलों में कोई भी अंतरिम या अंतिम आदेश पारित करने से रोक दिया था। सुप्रीम कोर्ट ने 1991 के कानून के क्रियान्वयन के लिए गैर सरकारी संगठनों जमीयत उलमा-ए-हिंद और ऑल इंडिया मुस्लिम पर्सनल लॉ बोर्ड की दायर याचिकाओं पर यह आदेश पारित किया था। वकील अश्विनी कुमार उपाध्याय की मुख्य याचिका समेत कई याचिकाओं में उपासना स्थल (विशेष प्रावधान) अधिनियम, 1991 के कई प्रावधानों को चुनौती दी गई है।