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परेशानी का सबक बना बाघ। प्रतीकात्मक तस्वीर। – फोटो : अमर उजाला
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रहमानखेड़ा में बाघ बीते मंगलवार से भूखा है। इस बीच उसने गाय पर हमला तो किया लेकिन उसे निवाला बना पाने में नाकाम रहा। ग्रामीणों का कहना है कि भूखा बाघ अब अगले शिकार की फिराक में है। ग्रामीणों का कहना है कि वन विभाग के लिए यह चौकन्ना रहने का समय है। बाघ के रेस्क्यू के लिए यह एक अच्छा मौका साबित हो सकता है।
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इधर रविवार को ग्रामीणों को बागवानी संस्थान के बाहर बाघ बेखौफ होकर इलाके में लगातार चहलकदमी करता दिखाई दिया। लोगों में नाराजगी है कि वन विभाग, डब्लूटीआई और बाघ को ट्रांकुलाइज करने के लिए तैनात डॉक्टरों को बाघ नजर नहीं आ रहा है। रविवार सुबह वन विभाग की टीम को रहमान खेड़ा में मुख्य मार्ग पर बाघ के आने व जाने के कई पगचिह्न मिले है। बाघ अब 20वें शिकार की कोशिश और फिराक में नजर आ रहा है। वन विभाग का कहना है कि शिकार की आशंका को लेकर टीम एलर्ट मोड पर है। टीम के लोगों का कहना है कि संस्थान में बाघ के प्रवेश मार्ग पर पड़वा बांध कर उसे घेरने की जुगत लगा रहे है।
कई नए पगचिह्न मिले
वहीं रविवार को अपर मुख्य प्रधान वन संरक्षक टाइगर प्रोजेक्ट उत्तर प्रदेश ने भी बाघ रेस्कयू ऑपरेशन का जायजा लिया। डीएफओ सितांशु पांडे के मुताबिक बाघ ने शिकार के लिए सहिलामऊ गांव में पालतू गाय पर हमला किया था लेकिन शिकार में वह नाकाम रहा था। बाघ ने उलरापुर की तरफ व केंद्रीय उपोष्ण बागवानी संस्थान के अंदर काफी चहलकदमी की है। बाघ की चहलकदमी संस्थान जाने वाली मुख्य सड़क पर भी पाई गई। इस सड़क पर बाघ के आने व जाने के कई जगहों पर पगचिह्न भी मिले है। वन विभाग की ट्रेकिंग टीम ने सड़क पर बाघ की चहलकदमी की पुष्टि की है।
कभी भी कर सकता है नया शिकार
रविवार को दिन में बाघ की मौजूदगी संस्थान से बाहर होने की बताई गई। वन विभाग को आशंका है कि बाघ अब शिकार की फिराक में है। जिसके लिए डॉक्टरों की टीम को एलर्ट मोड पर रखा गया है। बाघ रेस्कयू ऑपरेशन टीम ने केंद्रीय उपोष्ण बागवानी संस्थान में बाघ के अंदर घुसने के तीन प्रवेश मार्ग चिन्हित किये है। बाघ संस्थान में अंदर आने के लिए इन्हीं तीन रास्तो का अधिक इस्तेमाल करता है। आशंका है कि रविवार की रात बाघ शिकार कर सकता है।
वन विभाग टीम डॉक्टरों के साथ बाघ के प्रवेश मार्गो पर पड़वा बांध कर मचान पर बैठ कर निगरानी की जा रही है। रविवार को अपर मुख्य प्रधान वन संरक्षक प्रोजेक्ट टाइगर ललित वर्मा ने बाघ रेस्कयू ऑपरेशन का जायजा लिया। उन्होंने टीम के साथ बैठक कर अब तक किये गए प्रयासों की समीक्षा की। इधर बाघ के हमले से ग्रामीण दहशत में है। ग्रामीणों का बागीचों और खेतों की तरफ जाना बहुत कम हो गया है।
बाघ द्वारा घायल गाय का नहीं हो पा रहा इलाज
सहिलामाऊ गांव निवासी धीरू ने बताया कि घायल गाय का इलाज करने को कोई भी डॉक्टर तैयार नहीं है। उनका कहना है कि वो किसी कानूनी पचड़े में नहीं फंसना चाहते हैं। वन विभाग भी लापरवाही बरत रहा है। गाय की हालत गंभीर होती जा रही है। रविवार को नाराज परिजनों ने डायल 112 पर सूचना भी दी।मौके पर पहुंची पुलिसजनों ने उच्च अधिकारियों से संपर्क करने की बात कही।