लखनऊ। आज सिविल सेवा प्रशिक्षण संस्थानों (सीएसटीआई) में उपनिवेशवाद के उन्मूलन के लिए अभिज्ञान कार्यशाला आज भारतीय प्रौद्योगिकी संस्थान (आईआईटी), नई दिल्ली में सफलतापूर्वक आयोजित की गई। क्षमता निर्माण आयोग (सीबीसी), कार्मिक एवं प्रशिक्षण विभाग के प्रशिक्षण प्रभाग, आईआईटी दिल्ली में आईकेएस कार्यक्रम और इंडिका – भारतीय ज्ञान प्रणाली संस्थान के सहयोग से आयोजित इस कार्यशाला का उद्देश्य प्रभावी क्षमता निर्माण के लिए भारतीय ज्ञान प्रणाली (आईकेएस) को सिविल सेवा प्रशिक्षण में एकीकृत करना है।
कार्यशाला में श्री संजय त्रिपाठी, अपर महानिदेशक, भारतीय रेल परिवहन प्रबंधन संस्थान, लखनऊ सहित कई प्रतिष्ठित गणमान्य व्यक्ति शामिल हुए। आईआईटी, आईआईएम और आईकेएस संगठनों जैसे प्रमुख संस्थानों के प्रख्यात संकाय सदस्यों ने सत्रों का नेतृत्व किया, जिसमें भारतीय संस्थानों पर औपनिवेशिक निर्माणों के प्रभाव और भारत के सभ्यतागत लोकाचार के साथ पुनर्संरेखण की आवश्यकता के बारे में गहन जानकारी दी गई।
कार्यशाला के मुख्य विषय थे:
• संस्थागत प्रथाओं में IKS को शामिल करना
• विउपनिवेशीकरण की आवश्यकता को समझना
• परिवर्तन के लिए तत्वों की पहचान करना
• कार्यान्वयन के लिए व्यावहारिक रणनीतियाँ
चर्चा में समग्र भारतीय जीवन दृष्टि पर जोर दिया गया, जिसमें लोक प्रशासन को मजबूत करने के लिए भारत के सांस्कृतिक ज्ञान को शासन के साथ एकीकृत किया गया। प्रतिभागियों ने प्रशिक्षण पाठ्यक्रम और संस्थागत संस्कृति को विउपनिवेशीकरण के लिए कार्रवाई योग्य दृष्टिकोण तैयार करने के लिए इंटरैक्टिव सत्र, समूह कार्य और रणनीति निर्माण में भाग लिया।
भारत की सभ्यतागत शक्तियों में निहित एक शासन मॉडल को बढ़ावा देकर, अभिज्ञान कार्यशाला प्रशासन को देश की स्वदेशी ज्ञान प्रणालियों के साथ संरेखित करने की दिशा में एक महत्वपूर्ण कदम का प्रतिनिधित्व करती है। यह पहल भारत में अधिक सांस्कृतिक रूप से अनुकूल और प्रभावी शासन सुनिश्चित करते हुए सार्वजनिक सेवा प्रशिक्षण को नया रूप देने की आकांक्षा रखती है।