भगवद गीता में भगवान श्रीकृष्ण कहते हैं कि सभी पेड़ों में से मैं अश्वत्थ में विराजमान हूं. अश्वत्थ संस्कृत शब्द जिसका अर्थ पीपल होता है.

सनातन धर्म के मुताबिक पीपल का पेड़ काफी गुणकारी होता है. इसकी जड़ों में ब्रह्मा जी का वास होता है. टहनियों में श्रीहरि और पत्तों में भगवान शिव का वास होता है.

इस वजह से ये पेड़ पूजनीय योग्य है. प्राचीन समय में पीपल के पेड़ को काटना पाप माना जाता था.

वही विज्ञान के मुताबिक पीपल का पेड़ बाकी पेड़ों की तुलना में अधिक ऑक्सीजन प्रदान करता है. जो हमारे साथ-साथ हमारे वातावरण के लिए भी काफी जरूरी है. पीपल के पेड़ का इस्तेमाल आयुर्वेद में दवाइयों को बनाने में काम आता है.

पीपल के पेड़ की पूजा करना काफी आसान है. प्रतिदिन आपको इसकी 7 परिक्रमा लगानी है. इसके साथ ही जल अर्पण करना है. परिक्रमा लगाते समय ‘ऊं नमो भगवते वासुदेवाय’ मंत्र का जाप करें.

किसी कारण से आप इसे प्रतिदिन न कर पाए तो गुरुवार, शनिवार और अमावस्या के दिन जरूर करें.
Published at : 11 Jul 2025 07:40 PM (IST)
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