लखनऊ/एबीएन न्यूज। रेलवे प्रशासन यात्रियों को संरक्षित, सुरक्षित, आरामदायक तथा स्वच्छ यात्रा का अनुभव कराने के अपने संकल्प पर लगातार काम कर रहा है। इसी क्रम में स्टेशनों और कोचों की साफ-सफाई के लिए अत्याधुनिक तकनीक का प्रयोग तेजी से बढ़ाया गया है।
पूर्वोत्तर रेलवे के औंड़िहार, छपरा, बनारस, गोमती नगर, सी.बी. गंज तथा कोचिंग डिपो गोरखपुर में कोच धुलाई के लिए ऑटोमैटिक कोच वाशिंग प्लांट स्थापित किए गए हैं। इन प्लांट्स से ट्रेन के कोचों की बाहरी सतह पर जमी धूल-मिट्टी और शौचालय के निचले हिस्सों तक की सफाई की जाती है और संक्रमण रहित वातावरण सुनिश्चित किया जाता है।
ऑटोमैटिक कोच वाशिंग प्लांट, पारंपरिक धुलाई की तुलना में केवल 20% पानी की खपत करता है, जिससे करीब 80% पानी की बचत होती है। 22 कोच के एक रेक को धोने में पहले जहां 6 कर्मचारियों और 180 मिनट का समय लगता था, वहीं अब केवल 3 कर्मचारियों और 10-12 मिनट में पूरा काम हो जाता है।
पहले एक रेक की धुलाई में 6,600 लीटर पानी खर्च होता था, जबकि नई तकनीक से सिर्फ 1,320 लीटर पानी लगता है। प्रति रेक 5,280 लीटर पानी की बचत के साथ समय और राजस्व की भी बचत हो रही है।
रेलवे प्रशासन के मुताबिक इस पहल से न सिर्फ ट्रेनें स्वच्छ व संक्रमण मुक्त हो रही हैं, बल्कि संसाधनों का संरक्षण भी हो रहा है। स्टेशनों पर प्लेटफार्म की साफ-सफाई भी मैकेनाइज्ड तरीकों से की जा रही है ताकि यात्रियों को हर स्तर पर स्वच्छ वातावरण मिल सके। रेलवे ने यात्रियों से अपील की है कि वे स्वच्छता के इस अभियान में सहयोग करें और रेल परिसर व कोचों को स्वच्छ बनाए रखने में अपना योगदान दें।