विपक्षी गठबंधन इंडिया।
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भाजपा का मुकाबला करने के लिए बने विपक्षी गठबंधन इंडिया में दरार पड़ने लगी है। महाराष्ट्र में महाविकास अघाड़ी से सपा के अलग होने और पश्चिम बंगाल की ममता बनर्जी के गठबंधन के कामकाज से असंतुष्ट होने से साफ है कि गठबंधन का भविष्य सवालों में है। विपक्षी गठबंधन में सबसे ज्यादा मतभेद कांग्रेस की स्थिति को लेकर है। गठबंधन अब भाजपा को छोड़कर आपस में ही उलझता नजर आ रहा है।
विपक्षी गठबंधन का गठन जून 2023 में लोकसभा चुनाव से पहले भाजपा हटाओ, देश बचाओ के नारे के साथ किया गया था। तब इसके अगुआ जनता दल यूनाइडेट के नेता नीतीश कुमार थे, लेकिन कुछ समय बाद उन्होंने पाला बदला और भाजपा के एनडीए से हाथ मिला लिया। इसके बाद गठबंधन में शामिल अन्य विपक्षी दलों ने नीतीश पर खूब हमला बोला था। मगर नीतीश वापस नहीं लौटे। इसके बाद कांग्रेस के नेतृत्व में विपक्षी गठबंधन ने भाजपा के खिलाफ आवाज बुलंद करनी शुरू की। लोकसभा चुनाव में इंडिया गठबंधन का प्रदर्शन बेहतर रहा था। भाजपा की सीटें कम हुईं तो विपक्षी गठबंधन में जोश दिखा।
मगर जैसे-जैसे राज्यों के चुनाव हुए तो विपक्षी गठबंधन इंडिया में मतभेद शुरू होने लगे। मौजूदा मामला महाराष्ट्र से आया है। यहां समाजवादी पार्टी (सपा) ने शिवसेना (उद्धव) नेता द्वारा बाबरी मस्जिद के विध्वंस की प्रशंसा करने के बाद महा विकास अघाडी (एमवीए) छोड़ने की घोषणा की है। इससे पहले अदाणी मुद्दे पर विरोध प्रदर्शन के दौरान सपा और तृणमूल कांग्रेस (टीएमसी) भी इंडिया गठबंधन के साथ नहीं दिखीं।
विपक्षी गठबंधन में सबसे ज्यादा मतभेद कांग्रेस की स्थिति को लेकर है। हरियाणा और महाराष्ट्र के चुनावों में कांग्रेस की हार के बाद अब कई पार्टियां गठबंधन में अपनी ताकत दिखाने लगी हैं। कांग्रेस को लेकर विपक्षी दलों का मानना है कि उसे आत्मचिंतन करना चाहिए और दूसरों के प्रति उदार होना चाहिए। इसी का नतीजा है कि सहयोगी दल कांग्रेस के दबदबे के खिलाफ भी बोल रहे हैं।
शुक्रवार को पश्चिम बंगाल की मुख्यमंत्री ममता बनर्जी ने शुक्रवार को विपक्षी ‘इंडिया’ गठबंधन के कामकाज पर असंतोष व्यक्त किया और मौका मिलने पर इसकी कमान संभालने के अपने इरादे का संकेत दिया। उन्होंने कहा कि वह बंगाल की मुख्यमंत्री के रूप में अपनी भूमिका जारी रखते हुए विपक्षी मोर्चे के नेतृत्व के साथ दोहरी जिम्मेदारी संभालने में सक्षम होंगी। अब सभी की निगाहें कांग्रेस के अगले कदम पर टिकी हैं।