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Bollywood vs South Cinema: बॉलीवुड के मुकाबले साउथ सिनेमा का कॉन्टेंट पिछले कुछ सालों में काफी पसंद किया गया. साउथ की फिल्में देश ही नहीं, विदेशों में भी खूब पॉपलुर हुईं. साउथ सिनेमा क्यों आज बॉलीवुड से आगे है?…और पढ़ें
कई फिल्ममेकर्स ने सिनेमा पर अपने विचार जाहिर किए.
हाइलाइट्स
- साउथ सिनेमा के किरदार जड़ों से जुड़े होते हैं.
- बॉलीवुड के किरदार खास दर्शकों के लिए बनाए जाते हैं.
- इंडी सिनेमा के लिए भारत में फंडिंग की कमी है.
नई दिल्ली: ‘पुष्पा’, ‘कांतारा’, बाहुबली सरीखी साउथ फिल्में पूरे भारत में पसंद की गईं. कोरोना महामारी के वक्त बॉलीवुड हांफ रहा था, तब भी साउथ की फिल्में बॉक्स ऑफिस पर धमाल मचा रही थीं. आज दर्शकों का झुकाव साउथ सिनेमा की ओर बढ़ा है. मशहूर डायरेक्टर नीरज घेवन ने इसकी खास वजह बताई. वे स्क्रीन राइटर्स एसोसिएशन ऑफ इंडिया (एसडब्ल्यूए) के इवेंट में पहुंचे, तो उन्होंने बताया कि साउथ की फिल्में अच्छा परफॉर्म करने में सफल क्यों हैं?
‘मसान’ के निर्देशक ने बताया कि साउथ की फिल्में अच्छा परफॉर्म कर रही हैं, क्योंकि वे सतही किरदारों की तुलना में जीवंत अनुभवों को तवज्जो देती हैं. आईएएनएस की रिपोर्ट के अनुसार, उन्होंने कहा, ‘मुझे लगता है कि साउथ फिल्म इंडस्ट्री इतना अच्छा प्रदर्शन इसलिए कर रही है, क्योंकि उनके किरदार जड़ों से जुड़े हुए हैं और वास्तविक हैं. यहां (बॉलीवुड में) किरदारों को एक खास दर्शकों के लिए बनाया जाता है. इसे बांद्रा से होकर गुजरना पड़ता है. यह वास्तविक नहीं लगता. एक खास दर्शकों के लिए फिल्म को खास बनाने के प्रोसेस में वह चीजें खो जाती हैं, जो उसे वास्तविक बनाती है.’
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(फोटो साभार: IANS)
‘मिसेज’ और ‘आर्या’ की लेखिका अनु सिंह चौधरी ने ‘अल्टरनेटिव रियलिटी’ नाम के एक सीजन को आयोजित किया, जिसमें नीरज घेवन ने फिल्मों के लिए ‘इंडिपेंडेंट फंडिंग’ की कमी पर भी ध्यान दिया- जो यूरोप में तो है, लेकिन भारत में नहीं. उन्होंने कहा कि इससे इंडी सिनेमा के लिए सफल होना मुश्किल हो गया है. फिल्म निर्माता ने खुलासा किया, ‘चुनौती यह है कि स्टूडियो के साथ अपनी ईमानदारी को बरकरार रखते हुए आप जो चाहते हैं, उसे बनाएं. संगीत या किसी खास एक्टर को कास्ट करके ही रिकवरी आती है. आपको अपने गोल को हासिल करने के लिए स्ट्रगल करना पड़ता है.’
सिनेमा की दुर्दशा पर जताई चिंता
नीरज घेवन के साथ पैनल चर्चा में फिल्म निर्माता शूजित सरकार, मेघा रामास्वामी और कनु बहल भी शामिल हुए. ‘तितली’ और ‘आगरा’ जैसी फिल्मों के लिए मशहूर कनु बहल ने कहा, ‘स्वतंत्र सिनेमा खत्म हो चुका है. यह एक ऐसा ब्लैक होल है, जहां आपको नहीं पता कि आप जो भी काम कर रहे हैं, वह कभी बनेगा या नहीं.’
सिनेमा की चुनौतियों पर की बात
भारतीय पटकथा लेखक सम्मेलन के सातवें एडिशन में शूजित सरकार, सी प्रेम कुमार, क्रिस्टो टॉमी, हेमंत एम राव, विवेक अथरेया, विश्वपति सरकार और आनंद तिवारी जैसे प्रसिद्ध पटकथा लेखक और रचनाकार शामिल हुए और अपने अनुभव को शेयर किया. उन्होंने बताया कि वे इंडस्ट्री की बदलती स्थिति और इसकी ‘नई वास्तविकता’ से कैसे निपटते हैं.
February 16, 2025, 20:12 IST