{“_id”:”67b8b303ddb9ea729e016531″,”slug”:”wheat-and-potato-crops-lost-due-to-cutting-of-rajbeha-track-2025-02-21″,”type”:”story”,”status”:”publish”,”title_hn”:”Hathras: रजबहे की पटरी कटी, 50 बीघा गेहूं-आलू की फसल डूबी, किसानों ने जेसीबी लगाकर खुद ठीक की पटरी”,”category”:{“title”:”City & states”,”title_hn”:”शहर और राज्य”,”slug”:”city-and-states”}}
कुम्हरई में कटी रजवाहे की पटरी को ठीक करते किसान – फोटो : संवाद
विस्तार
सादाबाद के गांव कुम्हरई से गुजर रहे जुगसना रजबहे में अचानक पानी छोड़े जाने से 21 फरवरी की सुबह इसकी पटरी टूट गई, जिससे इसका पानी आसपास के खेतों में घुस गया। इससे 10 किसानों की गेहूं और आलू की करीब 50 बीघा फसल जलमग्न हो गई। सुबह पानी में डूबी फसलों को देख किसानों ने अपना माथा पकड़ लिया। किसानों को डर है कि अधिक पानी लगने की वजह से कहीं उनकी फसल न बर्बाद हो जाए।
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पानी आने से गांव कुम्हरई निवासी किसान सुरेश की छह बीघा, महेश की छह बीघा, महीपाल की सात बीघा, चित्रा की साढे तीन बीघा, मुकेश की चार बीघा, जयवीर की तीन बीघा, महेश की तीन बीघा, सुरेश की तीन बीघा, लालता प्रसाद की सात बीघा, बनी सिंह की छह बीघा आदि की लगभग 50 बीघा गेहूं व आलू की फसल जलमग्न हो गई।
सुबह जब किसान खेतों पर पहुंचे तो वहां का हाल देखकर चिंतित हो गए। किसानों ने रजबहे की पटरी को ठीक करने के प्रयास शुरू कर दिए। मौके पर लेखपाल हेमंत ने भी डूबी फसल का जायजा लिया और इससे उच्चाधिकारियों को अवगत कराया। उन्होंने बताया कि करीब 50 बीघा फसल जलमग्न हुई है। ग्रामीणों और ग्राम प्रधान पूरन सिंह ने संयुक्त रूप से जेसीबी की मदद से कटी हुई पटरी को दोपहर तक ठीक किया, तब जाकर रजबहे का पानी खेतों में घुसना बंद हुआ। मौके पर सिंचाई विभाग के सींचपाल भी पहुंच गए।
मेरी सात बीघा आलू की फसल रजबहे के पानी से जलमग्न हो गई है। रजबहे में पानी छोड़ने से पहले इसकी सफाई कराई जानी चाहिए थी, लेकिन सिंचाई विभाग की लापरवाही से उनकी फसल में नुकसान होने की पूरी संभावना है। -महीपाल सिंह, किसान।
मेरी भी करीब छह बीघा आलू की फसल में रजबहे की पटरी कटने की वजह से पानी भर गया। इससे फसल को भारी नुकसान हो सकता है। प्रशासन को जांच कराकर मुआवजा देना चाहिए। -महेश, किसान।
रजबहे की पटरी कटने से मेरी भी करीब पांच बीघा आलू की फसल में पानी भर गया। काफी मेहनत व लागत लगाने के बाद फसल तैयार की थी, लेकिन लगता है पानी भरने वह कहीं बर्बाद न हो जाए। -वीरपाल, किसान।