Premanand Ji Maharaj Vachan: प्रेमानंद जी महाराज एक महान संत और विचारक हैं जो जीवन का सच्चा अर्थ समझाते और बताते हैं. प्रेमानंद जी के अनमोल विचार जीवन को सुधारने और संतुलन बनाएं रखने में मार्गदर्शन करते हैं.
प्रेमानंद जी महाराज का मानना है कि हर छोटी-छोटी बात में श्रीजी का आश्रय लेना तो अच्छी बात होती है. यह एक उत्तम भक्ति का लक्षण है. प्रेमानंद जी महाराज ने एक भक्त के सावाल पर बताया कि अगर कोई भक्त श्री राधा का नाम जप करता है और उसकी रुचि किसी और भगवान से हट जाए तो क्या यह पाप तो नहीं है. इस पर हमे समझाते हुए महाराज भी बताते हैं कि इस बात को समझना चाहिए की एक तत्व के सिवा कोई दूसरा तत्व नहीं है. विराट भगवान का स्वरुप संपूर्ण विश्व ब्रह्मांड सब वही है तो जैसे तुम्हारे हाथ को हुए तो तुम्हें हुआ पैर को हुए तो तुम्हें छुआ मस्तक को छुए तो तुम्हें छुआ, पीठ को छुए तो तुम्हें छुआ मतलब सर्वांग है.
पूरा ब्रह्मांड सब भगवान का स्वरुप है विराट में तो जितने देवी देवता चर अचर ये सब भगवान में वास करते हैं तो अगर हम अंबा मां की पूजा करते हैं तो उसी भगवान की पूजा हो रही, राधा मां की के पूजा करें तो उसी भगवान की पूजा हो रही है. साथ ही कृष्ण, शिव जी, भैरव जो भी उसी भगवान 102 नहीं हैं उनके रुप अनंत हैं हरि अनंत हरि अनंता. तो जब हम राधा राधा करते हैं तो उसी भगवान की पूजा कर रहे हैं सब भगवानों की तो कभी नाराज नहीं होंगे वो क्योंकि तत्व एक है. रुप अनेक हैं तत्व तो एक ही है.
श्रीजी सिया जी सब एक ही लीला है. प्रभु मंगल भवन हैं अपने भक्तों की हर मनोकामना पूर्ण करते हैं. कभी भी नाम जप का अभिमान नहीं करना चाहिए और सदैव नाम जप करना चाहिए. कभी बुरा भी अपना होने लगे तो हमेशा हंसते रहना चाहिए. कभी अशुभ कर्म का योग भी आ सकता है घाटा हो सकता है, यह कुछ समय के लिए होता है अपना विश्वास भगवान पर अटूट रखना सब अच्छा होने लगेगा.
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