Abraha: अब्राहा 6 वीं शताब्दी का एक इथियोपियाई सैन्य नेता और अक्सुमाइट साम्राज्य का वायसराय था, जिसने यमन पर शासन किया था. वह मक्का के काबा को नष्ट करने के प्रयास के लिए जाना जाता है, जिसके लिए उसने युद्ध में हाथियों वाली एक सेना का उपयोग किया था, लेकिन यह प्रयास चेचक महमारी के कारण विफल हो गया और इस्लामी परंपरा में हाथी का वर्ष कहा जाता है.
अब्राहा कौन था?
अब्राहा छठी शताब्दी ईस्वी का एक ईसाई शासक था, जो मूल रूप से इथियोपिया का एक सैन्य नेता था, जिसने दक्षिण अरब पर नियंत्रण स्थापित किया और यमन का वायसराय था और फिर शासक बना.
वह प्रसिद्ध रूप से हथियों की सेना के साथ मक्का के काबा को गिराने के लिए गया था, लेकिन रास्ते में ही उसकी सेना नष्ट हो गई, जिसकी वजह से अब्राहा की मृत्यु हो गई और उसे हाथी वर्ष के रूप में जाना जाता है.
अब्राहा मक्का को क्यों नष्ट करना चाहता था?
अब्राहा मक्का के काबा को इसलिए नष्ट करना चाहता था क्योंकि वह एक शक्तिशाली ईसाई शासक था जो मक्का के व्यापार और तीर्थयात्रा को अपने यमन में बने भव्य चर्चा की ओर मोड़ना चाहता था, ताकि उसकी आर्थिक और धार्मिक सत्ता को बढ़ावा दिया जा सके.
अब्राहा के जरिए मक्का को नष्ट करने के कारण
धार्मिक और आर्थिक प्रतिस्पर्धा
अब्राहा, जो यमन का ईसाई राजा था, मक्का के प्रति प्रतिस्पर्धा रखता था. वह चाहता था कि मक्का के बजाय लोग उसके शानदार गिरजाघर (चर्च) की ओर तीर्थयात्रा करें.
व्यापार को बदलना
अब्राहा का लक्ष्य अरब देशों के व्यापार और तीर्थयात्रा को मक्का से हटाकर यमन की ओर ले जाना.
काबा का महत्व
काबा उस समय मक्का में एक महत्वपूर्ण तीर्थ स्थल था और इसे नष्ट करके अब्राहा उस स्थान के महत्व को खत्म करना चाहता था. ताकि यमन के चर्च को उसका स्थान मिल सकें.
मक्का को गिराने में अब्राहा की जीत हुई या हार
मक्का को गिराने के लिए अब्राह के प्रयास में उसकी हार हुई थी, क्योंकि उसका अभियान विफल हो गया और उसे मक्का से पीछे हटना पड़ा, जिससे मक्का सुरक्षित रहा. मुसलमानों का मानना है कि यह अल्लाह की मदद के कारण हुआ, जिसमें एक चमत्कारी घटना शामिल थी जिसने अब्राहा की सेना को नष्ट कर दिया.
काबा को नष्ट करने के अपने प्रयास के दौरान, अब्राहा के पास बहुत बड़ी सेना थी जिसमें हाथी भी शामिल थे.
कुरान के अनुसार, अब्राहा की सेना पर ईश्वर की ओर से अबाबील पक्षियों के रूप में छोटे पत्थर बरसाए गए, और उसकी सेना पूरी तरह से नष्ट हो गई. इसी वजह से उस साल को “आमुल फिल” (हाथी का साल) कहा जाने लगा और यह घटना हजरत मुहम्मद के जन्म के समय की है.
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