पाकिस्तान ने सूडान के साथ 1.5 अरब अमेरिकी डॉलर के रक्षा समझौते किए हैं, जो पाकिस्तान के इतिहास की सबसे बड़ी हथियार एक्सपोर्ट डील है. यह कदम एक वैश्विक हथियार आपूर्तिकर्ता के रूप में इस्लामाबाद के बढ़ते प्रभाव और गृह युद्ध के बीच सूडान के सैन्य अभियान को तेज करने के दृढ़ संकल्प को दिखाता है.
यह समझौता एक हाई सूडानी सैन्य प्रतिनिधिमंडल की इस्लामाबाद यात्रा के दौरान किया गया, जो न केवल दोनों देशों के बीच गहरे होते द्विपक्षीय संबंधों का प्रतीक है, बल्कि अफ्रीका के सबसे खूनी संघर्ष में शक्ति संतुलन में बदलाव का भी प्रतीक है.
सूडान को क्या-क्या देगा पाकिस्तान?
डिफेंस सिक्योरिटी एशिया की रिपोर्ट के मुताबिक, पाकिस्तान और सूडान की बीच हुई इस हथियार डील में हवाई, जमीनी और वायु रक्षा प्रणालियां भी शामिल हैं, जिन्हें सूडानी सशस्त्र बलों (एसएएफ) को रैपिड सपोर्ट फोर्सेज (आरएसएफ) पर बढ़त दिलाने के लिए डिज़ाइन किया गया है. इसमें सबसे आगे 10 के-8 काराकोरम प्रशिक्षण/हल्के हमलावर विमान हैं, जो पाकिस्तान-चीन रक्षा सहयोग का एक उत्पाद है और पायलट प्रशिक्षण और नजदीकी हवाई सहायता में दोहरी भूमिका निभाने के लिए डिज़ाइन किए गए हैं.
सूडान की वायु शक्ति में भी इजाफा
हवा से जमीन पर मार करने वाले हथियारों और बिना निर्देशित रॉकेटों के लिए हार्डपॉइंट से लैस के-8, सूडान को दारफ़ुर और खार्तूम के बाहरी इलाकों में आतंकवाद-रोधी अभियानों में हमलावर विमान तैनात करने के लिए सक्षम बनाता है. इससे सूडान की वायुशक्ति में और बढ़ोत्तरी हुई है, साथ ही मिग-21 इंजन उसके सोवियत-युगीन बेड़े की लाइफलाइन को और बढ़ाते हैं, जो SAF की युद्ध व्यवस्था का एक महत्वपूर्ण अंग बना हुआ है.
हालांकि आधुनिक मानकों के अनुसार ये विमान पुराने हो चुके हैं, लेकिन फिर भी मिग-21 अभी भी सीमित वायु रक्षा और हमलावर भूमिकाएं निभाने में सक्षम है, विशेषकर तब जब इन्हें नए ड्रोन विमानों का समर्थन प्राप्त हो.
ग्राउंड फोर्सेज को मिलेंगे 150 एएसवी मोहाफिज बख्तरबंद वाहन
एसएएफ के संचालन में ड्रोनों के बड़े पैमाने पर इस्तेमाल से सूडान नेटवर्क ड्रोन युद्ध के युग में प्रवेश कर जाएगा, जो यूक्रेन, नागोर्नो-काराबाख और यमन में प्रयुक्त रणनीति के समान है. इसके अलाव सूडान की ग्राउंड फोर्सेज को 150 एएसवी मोहाफिज बख्तरबंद वाहनों से मजबूत किया जाएगा, जो छोटे हथियारों और आईईडी से सुरक्षा देंगे, जो विशेष रूप से शहरी युद्ध के लिए महत्वपूर्ण हैं, जहां आरएसएफ इकाइयां तैनात हैं.
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