यूपी में सड़क हादसों में 50 फीसदी कमी लाने के लक्ष्य को हासिल करने के लिए परिवहन विभाग की ओर से ‘5-ई’ प्रस्ताव तैयार कर शासन को मंजूरी के लिए भेजा गया है। इसमें इंफोर्समेंट, इंजीनियरिंग, एजुकेशन, इमरजेंसी केयर व इवेल्यूएशन पर केंद्रित रोड सेफ्टी कार्यक्रम तैयार किया गया है। मंजूरी के बाद इसे लागू किया जाएगा।
परिवहन आयुक्त बीएन सिंह ने बताया कि परिवहन विभाग ने सड़क दुर्घटनाओं व मौतों में कमी लाने के लिए यह प्लान तैयार किया है। इसमें प्रत्येक तहसील में 10 प्रशिक्षित स्वयंसेवक, कुल 3510 रोड सेफ्टी सेवक तैनात किए जाएंगे। स्कूल जोन मार्शलिंग, पैदलपथ, क्रॉसिंग सहायता, हेलमेट-सीटबेल्ट काउंसलिंग, भीड़-प्रबंधन, वर्क-जोन सुरक्षा-सहयोग, गुड-समैरिटन के बाबत जागरूकता फैलाई जाएगी। एआरटीओ प्रवर्तन, पुलिस, शिक्षा, स्थानीय निकायों के बीच समन्वय बनाने, प्राथमिक उपचार, भीड़-प्रबंधन, ट्रैफिक-शिष्टाचार आदि को लेकर प्रशिक्षण देने का काम भी शामिल है।
नो हेलमेट, नो फ्यूल का विस्तार गांवों कस्बों तक किया जाएगा
इसके अतिरिक्त स्वयंसेवकों को तीन हजार रुपये प्रतिमाह दिया जाएगा। 5ई के तहत इंफोर्समेंट में नो हेलमेट, नो फ्यूल का विस्तार गांवों कस्बों तक किया जाएगा। इंजीनियरिंग के तहत ब्लैक व रेड स्पॉट पर कार्रवाई की जाएगी। एजुकेशन के तहत विद्यालय, महाविद्यालय गतिविधि-कैलेंडर, रोड सेफ्टी एंथम को लेकर जागरूकता कार्यक्रम चलाना, इमरजेंसी केयर में 108 के साथ निजी एम्बुलेंस, ट्रॉमा-तत्परता तथा इवेल्यूएशन में ई-दिशा, आई रेड, वाहन, सारथी, ई-चालान आदि की समीक्षा शामिल है।
परिवहन आयुक्त ने आगे बताया कि विश्लेषण में सड़क हादसों के लिए ओवरस्पीडिंग प्रमुख कारण पाया गया है, जो दोपहर 3.00 से रात 9.00 बजे के बीच अधिक हुए हैं।