Mahakumbh 2025: महाकुंभ का समापन होने वाला है. करीब 45 दिन तक कुंभ मेले की धूम रही. अब महाशिवरात्रि के दिन आखिरी शाही स्नान किया जाएगा. माना जा रहा है कि यह महाकुंभ 144 सालों के बाद आया है और इसलिए इसे बेहद खास माना जा रहा है. ऐसे में महाकुंभ का आखिरी शाही स्नान बहुत महत्वपूर्ण है. शाही स्नान का महत्व क्या है, महाकुंभ में शाही स्नान के नियम क्या है.
महाकुंभ 2025 का समापन कब ?
प्रयागराज का महाकुंभ भारत की धार्मिक और सांस्कृतिक विरासत का एक अद्भुत संगम है. जनता और संत समागम का यह महान पर्व इस बार 13 जनवरी से शुरू हुआ था अब महाशिवरात्रि पर 26 फरवरी 2025 को इसका समापन हो रहा है.
शाही स्नान क्या है ?
शाही स्नान एक दिव्य और पवित्र अनुष्ठान है.’शाही स्नान’ का अर्थ है राजसी स्नान. यह वह दिन होता है जब साधु-संत, अखाड़ों के महंत और संत समुदाय अपनी धार्मिक परंपराओं के अनुसार संगठित होकर पवित्र नदियों में स्नान करते हैं.
धार्मिक मान्यता है कि महाकुंभ में शाही स्नान का पुण्य व्यक्ति को लंबे समय तक लाभ देता है. जन्मों-जन्मांतर के पाप धुल जाते हैं. मोक्ष के द्वार खुल जाते हैं.
वैज्ञानिक दृष्टि से प्रयागराज में स्नान महत्व
वैज्ञानिकों के अनुसार, त्रिवेणी संगम का पवित्र जल कई जैविक और औषधीय गुणों से भरपूर होता है. इसमें मौजूद खनिज पदार्थ शरीर को स्वस्थ रखने में मदद करते हैं. ऐसे में रिपोर्ट के अनुसार प्रयागराज में स्नान व्यक्ति को दोष के साथ रोगों से भी मुक्ति दिलाने में मदद करता है. पितरों की आत्मा की शांति होती है.
संगम में शाही स्नान के नियम
शाही स्नान के कुछ नियम हैं. गृहस्थ लोगों नागा साधुओं बाद ही संगम में स्नान करना चाहिए. स्नान करते समय 5 डुबकी जरूर लगाएं, तभी स्नान पूरा माना जाता है. स्नान के समय साबुन या शैंपू का इस्तेमाल न करें.
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