Nazar Battu Mythology Story: हम सभी ने कभी न कभी घर की दीवारों पर एक ऐसा नजरबट्टू जरूर देखा होगा, जो दिखने में गोल, बाहर निकली हुई जीभ, सिर पर दो सींग, लंबे-लंबे कान एकदम राक्षस की तरह दिखाई देने वाला जो बुरी नजर और नकारात्मक ऊर्जा से बचाव करता है.
लेकिन क्या आपने कभी सोचा है? आखिर इसकी उत्पत्ति कैसे हुई? इसके पीछे की पौराणिक कथा क्या है? इन्हीं सब सवालों पर से पर्दा हटाने के लिए आज हम आपको नजर बट्टू के बारे में रोचक जानकारी देंगे.
नजर बट्टू से जुड़ी लोक कथा
पौराणिक कथाओं के मुताबिक बहुत समय पहले जालंधर नाम का एक शक्तिशाली असुर हुआ करता था. जालंधर ने भगवान शिव को युद्ध के लिए चुनौती दे डाली. क्योंकि उसे पार्वती जी चाहिए थी. माता पार्वती को पाने और शिवजी को युद्ध के लिए ललकारने के लिए जालंधर ने अपने दूत राहु को कैलाश पर्वत भेजा.
राहु की बात सुनकर शिवजी को इतना क्रोध आया कि उनकी क्रोध अग्नि से एक नए जीव पैदा हुआ.
शिव जी के क्रोध से पैदा हुआ ये जीव नहीं पूरी तरह मानव था और ना ही असुर. वो सब कुछ खा जाना चाहता था. उस भयानक जीव ने शिवजी से पूछा, मैं किसे खाउं? शिवजी ने उत्तर देते हुए कहा कि, तुम अपने आपको खा जाओ. शिवजी के आदेश के बाद उस जीव ने अपना पूरा शरीर खा लिया.
शरीर खाने के बाद उसने फिर से शिवजी से पूछा कि, अब क्या खाउं? शिवजी उस जीव की बात से इतना प्रसन्न हुए कि उन्होंने इस जीव को कीर्तिमुख नाम दिया.
वैभव का प्रतीक कीर्तिमुख
कीर्तमुख को वैभव का प्रतीक है. शिवजी ने कीर्तिमुख को वरदान देते हुए कहा कि, मुझ तक आने से पहले तुम हर किसी का लालच, छल, कपट और गलत भावनाओं को खा जाओगे.
इसी कारण कीर्तिमुख की आकृति हमें ज्यादातर मंदिरों और घरों में दिखाई देती है. जहां भी कीर्तिमुख की छवि लगी होती है, वहां कभी भी नकारात्मक ऊर्जा प्रवेश नहीं करती है. कीर्तिमुख की ये लोककथा इतनी प्रचालित हुई कि धीरे-धीरे इसने नजर बट्टू का रूप ले लिया.
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