अमृतसर की गलियों से क्रिकेट की ओर सफर
अभिषेक शर्मा का जन्म चार सितंबर 2000 को पंजाब के अमृतसर में हुआ। वे तीन भाई-बहनों में सबसे छोटे हैं। उनके पिता राजकुमार शर्मा खुद पंजाब के लिए लेफ्ट-आर्म स्पिनर रह चुके हैं। 1985-86 में अंडर-22 विजय हजारे ट्रॉफी के फाइनल तक उन्होंने टीम का हिस्सा रहते हुए क्रिकेट खेला। मगर परिस्थितियों ने उनका करियर रोक दिया। दुबई जाकर भी सफलता नहीं मिली तो वे लौटकर बैंक ऑफ इंडिया के लिए खेले और बाद में अमृतसर गेम्स एसोसिएशन के कोच और सेलेक्टर बने। पिता का अधूरा सपना बेटे में पूरा करने का निश्चय उन्होंने किया और यही जुनून अभिषेक की नसों में दौड़ा। महज तीन साल की उम्र में जब बच्चों के खिलौने हाथ में होते हैं, तब अभिषेक प्लास्टिक के बल्ले से शॉट खेलने लगे।
पिता की सीख और बचपन की मेहनत
अभिषेक ने डीपीएस अमृतसर से पढ़ाई की और फिर डीएवी कॉलेज से ग्रेजुएशन। पढ़ाई में अच्छे थे, लेकिन दिल क्रिकेट पर टिका रहा। पिता राजकुमार रोजाना उन्हें प्रैक्टिस के लिए ले जाते। यही मेहनत रंग लाई जब उनका चयन पंजाब अंडर-14 टीम में हुआ। श्रीनगर में हुए अंडर-14 मुकाबले के दौरान महान स्पिनर बिशन सिंह बेदी ने उनकी गेंदबाजी देखी और तारीफ की। बेदी ने कहा कि अभिषेक एक बेहतरीन ऑलराउंडर बन सकते हैं।
रणजी डेब्यू और ऑलराउंड प्रदर्शन
सिर्फ 16 साल की उम्र में अभिषेक ने रणजी ट्रॉफी में कदम रखा। हिमाचल प्रदेश के खिलाफ उन्होंने पहली ही पारी में 94 रन बनाए और एक विकेट भी लिया। हरभजन सिंह ने उन्हें कैप पहनाई और डेब्यू यादगार बना दिया। उस मैच से साफ हो गया था कि यह लड़का आने वाले समय में भारतीय क्रिकेट का बड़ा नाम बन सकता है।
अंडर-19 का चमकता सितारा
2016 में अभिषेक को भारतीय अंडर-19 टीम का कप्तान बनाया गया। उनकी कप्तानी में टीम ने इमर्जिंग एशिया कप जीता। हालांकि 2018 अंडर-19 वर्ल्ड कप से पहले कप्तानी पृथ्वी शॉ को मिल गई, लेकिन अभिषेक ने बतौर खिलाड़ी टीम में अहम योगदान दिया। बांग्लादेश के खिलाफ उन्होंने शानदार अर्धशतक जड़ा और गेंदबाजी में भी विकेट निकाले। 2015-16 में विजय मर्चेंट ट्रॉफी में 1200 रन और 57 विकेट लेकर वे पहले क्रिकेटर बने जिन्होंने दो ‘राज सिंह डूंगरपुर अवॉर्ड’ जीते।