मथुरा में बाढ़ से हालात विकराल होते जा रहे हैं। शुक्रवार रात को यमुना के सभी घाट दरिया बन गए। यहां तक कि रोड तक पानी आ गया। सदर बाजार की कुछ कॉलोनियों में भी पानी घुस गया। मथुरा-वृंदावन की दर्जनों कॉलोनियां व जिले के करीब 36 गांव टापू बन गए हैं। कुछ गांव के ग्रामीणों को स्टीमर से राहत सामग्री पहुंचाई जा रही तो कई गांव खाली कराए हैं। पानी का बहाव इतना तेज है कि चंद मिनटों में कई किमी रफ्तार तय कर रहा है। प्रशासन ने सोमवार तक यमुना जलस्तर को लेकर हाई अलर्ट जारी किया है।

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मथुरा में बाढ़।
– फोटो : संवाद न्यूज एजेंसी
हाल ये है कि बीते 24 घंटे में जयसिंहपुरा की कई और कॉलोनियां जलमग्न हो गईं। बंगाली घाट, विश्राम घाट और प्रयाग घाट डूब गया। सदर बाजार क्षेत्र की कॉलोनियां तक यमुना का पानी पहुंच गया। इधर, ग्रामीण क्षेत्रों में आबादी क्षेत्र समेत खेत-खलियान सब लबालब भरे हैं। हालात इतने विकराल हो गए हैं कि यमुना से सटे क्षेत्रों में दूर-दूर तक पानी ही पानी नजर आ रहा है।

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मथुरा में बाढ़।
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नौहझील क्षेत्र में सबसे अधिक गांव बाढ़ से प्रभावित हैं। इसमें करीब 10 गांव ऐसे हैं, जो डूब गए हैं और 16 गांव टापू बन गए हैं। ये यमुना के तटवर्ती गांव हैं, जहां बीते एक सप्ताह से पानी भरा हुआ है। शेगगढ़ क्षेत्र में भी करीब छह गांव टापू बन गए। इनमें बाबूगढ़, चमनगढ़, ओवा, बहटा गांव में अधिक पानी भरने से खाली कराया गया है।

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मथुरा में बाढ़।
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मांट क्षेत्र के बेगमपुर और जहांगीर में भी घुटनों तक पानी भर गया है। यहां तक कि शनिवार सुबह महावन क्षेत्र में रमणरेती आश्रम में भी पानी घुस गया और गोकुल की कई कॉलोनियां प्रभावित हो गई हैं। प्रशासन की ओर से लगातार राहत व बचाव कार्य कराया जा रहा है, लेकिन बाढ़ प्रभावित परिवारों का दर्द शब्दों में बयां करना मुश्किल है। हालांकि प्रशासन ने रविवार और सोमवार तक यमुना जलस्तर को लेकर हाई अलर्ट जारी किया है।

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शनिवार को यमुना का जलस्तर 166.86 मीटर से बढ़कर 167.25 मीटर दर्ज किया गया है। यह आंकड़ा खतरे के निशान 166 से 1.25 मीटर अधिक है। अधिकारियों ने सोमवार के बाद लगातार जलस्तर कम होने की उम्मीद जताई है।