तबला सम्राट कहे जाने वाले उस्ताद जाकिर हुसैन को काशी के तीन पीढ़ी के तबला वादकों ने तबले की थाप से तालांजलि अर्पित की। काशी कला कस्तूरी एवं पं. शिवनाथ मिश्रा संगीत फाउंडेशन की ओर से सोमवार को भदैनी स्थित सितार कुंज में कलाकारों ने जाकिर हुसैन की स्मृति में भावपूर्ण प्रस्तुति दी। काशी के वरिष्ठ तबला वादक पंडित किशन रामडोहकर ने संगीतरूपी पुष्प से उस्ताद को तालांजलि अर्पित की। उन्होंने तीन ताल में पुरानी रचनाएं प्रस्तुत की। उसके पश्चात अपने गुरु द्वारा रचित कुछ बंदिश धिन-धिना, घिट घिट किट तक की बंदिशों से उस्ताद को तालांजलि दी। उनके पूर्व काशी के ही दूसरी-तीसरी पीढ़ी के प्रतिभावान तबला वादकों ने उस्ताद को तबले की थाप से तालांजलि दी। तबला वादक श्रीकांत मिश्र, प्रशांत मिश्र, सिद्धांत मिश्रा एवं नवनीत प्रजापति ने एक साथ मंच से तीन ताल में मध्य लय में निबद्ध बनारस घराने की प्राचीन उठान, चलनकारी, बाट आदि से उस्ताद जाकिर हुसैन की फनकारी की यादों को सबके जेहन में ताजा कर दिया। उनके साथ सारंगी पर अनीश मिश्रा ने संगत की। समारोह की अध्यक्षता करते हुए विश्वविख्यात सितारविद पद्मश्री पंडित शिवनाथ मिश्रा ने कहा कि उस्ताद जाकिर हुसैन ने शास्त्रीय संगीत को वैश्विक ऊंचाई प्रदान की।हमारी इच्छा थी कि काशी में एक बार उनके साथ कार्यक्रम प्रस्तुत करने की जो सदा के लिए अधूरी रह गई। बनारस के तबला वादक उनका अनुसरण कर बहुत कुछ सीख सकते हैं।मुख्य अतिथि पूरन महाराज ने कहा कि जाकिर एक अलग मिजाज के कलाकार थे। उनसे हमारे पारिवारिक संबंध रहे। उनके लिए श्रद्धांजलि देते हुए दुख भी हो रहा है। वे गए जरूर लेकिन एक बड़ी लकीर खींच गए। विशिष्ट अतिथि सुप्रसिद्ध शास्त्रीय गायिका सुचरिता गुप्ता ने कहा कि वे युवा पीढ़ी के साथ साथ हर वर्ग के लिए प्रेरणादायी रहेंगे। उनकी कला का कायल पूरा विश्व था। इसके पूर्व अतिथियों ने उस्ताद जाकिर हुसैन के चित्र पर पुष्पांजलि अर्पित कर तालांजलि का शुभारंभ किया।