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अंसल ऑफिस के बाहर पीड़ित। – फोटो : अमर उजाला।
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अंसल को दिवालिया घोषित किए जाने की कार्यवाही शुरू होने से परेशान आवंटी शनिवार को कंपनी के कार्यालय पहुंचे। यहां ताला लगा देख उनका पारा चढ़ गया। नाराज लोगों ने दो घंटे तक प्रदर्शन, नारेबाजी की। आवंटियों ने आरोप लगाया कि अंसल ने जानबूझकर घोटाला किया है।
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टाउनशिप में घर, फ्लैट खरीदने वालों के साथ प्रॉपर्टी डीलर भी आवंटी गगन टंडन की अगुवाई में अंसल के कार्यालय पहुंचे। गगन ने बताया कि पैसा लेने के बाद भी अंसल ने करीब 6500 प्लॉट, मकान व फ्लैटों की रजिस्ट्री नहीं की है। लोग करीब दस वर्षों से भटक रहे हैं। मामले को लेकर वे कोर्ट भी जा सकते हैं।
600 करोड़ कमाने के बाद भी नहीं दिए 83 करोड़
राष्ट्रीय कंपनी विधि अधिकरण (एनसीएलटी) ने 83 करोड़ रुपये का भुगतान न करने पर अंसल के खिलाफ कार्रवाई की है। गगन ने बताया कि नवंबर में एनसीएलटी के आदेश के बाद अंसल ने500 से अधिक रजिस्ट्री की। इससे 600 करोड़ रुपये तक की कमाई हुई। इस रकम में से 83 करोड़ रुपये का भुगतान किया जा सकता है, लेकिन ऐसा नहीं किया गया। इससे साफ है कि घोटाला जानबूझकर किया गया। आवंटियों ने सरकार से मांग की है कि अंसल से रकम जमा करवाए और अपने स्तर या एलडीए के जरिये टाउनशिप को विकसित करवाए। यह भी कहा कि सबसे पहले अंसल के मालिकान का पासपोर्ट जब्त किया जाए। ऐसा नहीं करने पर वे विदेश भाग सकते हैं, जिससे आवंटियों की रकम फंस जाएगी।
विधायक राजेश्वर सिंह कल पीड़ितों से मिलेंगे
अंसल में प्रॉपर्टी लेने वालों ने बताया कि समस्याओं को लेकर सरोजनीनगर के विधायक डॉ. राजेश्वर सिंह से बातचीत हुई है। उन्होंने हरसंभव मदद का आश्वासन दिया है। वे सोमवार को अंसल आएंगे तथा आवंटियों से मुलाकात कर उनकी समस्याएं सुनेंगे।
रेरा में अंसल के खिलाफ दर्ज हैं तीन हजार मामले
आवंटियों का कहना है कि उनके प्लॉट के बारे में बताने वाला कोई नहीं है। लगातार ऑफिस पहुंचने पर भी उन्हें आवंटन नहीं दिया गया। अंसल ने वह जमीन भी बेच दी, जो उसके पास नहीं थी। अकेले लखनऊ से 900 रजिस्ट्री हुईं। अंसल के खिलाफ रेरा में तीन हजार मामले दर्ज हैं। ईडी व सिंचाई विभाग की जांच का भी आज तक पता नहीं चला। 75 वर्षीय आवंटी आरडी मिश्र ने बताया कि उन्होंने करीब 15 साल पहले अंसल से दो हजार वर्गफिट का प्लॉट लिया था। उन्हें वृंदावन की ओर जमीन देने की बात कही गई, लेकिन आज तक प्लॉट नहीं मिल सका, जबकि किसान पथ बन गया है।