निवेशकों को जल्द से जल्द जमीन उपलब्ध कराने के लिए बड़ी पहल की जा रही है। अब शत्रु संपत्ति और नजूल की जमीनें भी उद्योगों के लिए निवेशकों को दी जाएंगी। इस संबंध में शासन ने सभी जिलों के डीएम और विकास प्राधिकरणों से ब्योरा मांगा है। ऐसी जमीनों को औद्योगिक विकास प्राधिकरणों और यूपीसीडा को दिया जाएगा।
अभी तक ये जमीनें विवादों, अतिक्रमण और उपयोग न होने के कारण बेकार पड़ी थीं, लेकिन इन्वेस्ट यूपी ने इन्हें निवेश और रोजगार सृजन के लिए उपयोगी बनाने का प्लान तैयार किया है। राज्य सरकार के आंकड़ों के मुताबिक उत्तर प्रदेश में शत्रु संपत्तियां करीब 5,936 दर्ज हैं, जिनमें लगभग 12,500 एकड़ भूमि शामिल है। वहीं नजूल भूमि का दायरा 20,000 एकड़ से ज्यादा है, जिसमें बड़ी हिस्सेदारी शहरी इलाकों और विकास प्राधिकरणों के अधीन आती है।
इन जमीनों का उपयोग औद्योगिक पार्क, लघु एवं मध्यम उद्योग, वेयरहाउसिंग और निर्यात-उन्मुख इकाइयों की स्थापना के लिए किया जाएगा। इन जमीनों को नीलामी और दीर्घकालीन लीज पर उपलब्ध कराने की योजना है। अनुमान है कि इस पहल से कम से कम तीन लाख करोड़ रुपये तक का निवेश जमीन पर उतरेगा और दो से चार लाख नए रोजगार के अवसर पैदा होंगे।
शत्रु संपत्तियों का स्वामित्व केंद्र सरकार के पास है, लेकिन इन्हें औद्योगिक उपयोग के लिए केस-टू-केस प्रक्रिया के तहत दिया जा सकता है। नजूल भूमि, जो पहले नगर निकायों या प्राधिकरणों के पास थी, उसे भी चिन्हित कर निवेशकों को उपलब्ध कराया जाएगा।
लखनऊ, कानपुर, प्रयागराज, वाराणसी, अलीगढ़ और गाजियाबाद में शत्रु एवं नजूल भूमि पर उद्योग बसाने की योजना है। इसके लिए जमीन का सर्वे और उपयोगिता आकलन चल रहा है। यह कदम न सिर्फ अनुपयोगी पड़ी जमीन का बेहतर इस्तेमाल करेगा, बल्कि उत्तर प्रदेश को औद्योगिक निवेश का नया गंतव्य बनाने में भी अहम भूमिका निभाएगा।