Kapaleshwar Shiva Temple: महाराष्ट्र के नासिक में स्थित कपालेश्वर शिव मंदिर पूरे ब्रह्मांड का एकमात्र ऐसा शिव मंदिर है, जहां आपको शिवलिंग के सामने नंदी देखने को नहीं मिलेंगे.
यह अद्भुत कथा पवित्र पद्म पुराण में वर्णित है, जिसे ऋषि मार्कण्डेय ने सुनाया था.
ब्रह्मा के पांचवे मुख की कथा
पौराणिक कथाओं के मुताबिक भगवान ब्रह्मा के पांच मुख थे, जिनमें चार मुख वेदों का जाप करते थे, जबकि पांचवां मुख ईर्ष्यावश भगवान विष्णु और भगवान शिव की हमेशा आलोचना और अपमान करता रहता था.
एक सभा के दौरान ब्रह्मा के पांचवें मुख ने हद से ज्यादा आलोचना करना शुरू कर दी, जिसको देखकर शिव क्रोध में आकर ब्रह्मा का अस्त्र छीन पांचवां मुख हमेशा के लिए काट दिया.
शिव पर ब्रह्महत्या का दोष
ब्रह्मा का मुख काटने के बाद भगवान शिव अपराध बोध से भर गए. उन्होंने ब्रह्म हत्या यानी ब्राह्मण की हत्या का बड़ा पाप किया था. इस अपराध ने शिवजी को काफी पीड़ा पहुंचाई. इस अपराध से व्याकुल होकर उन्होंने पूरे भारत की यात्रा की.
यात्रा करके शिव इतने थक चुके थे कि उन्होंने नासिक के पंचवटी में देव शर्मा ब्राह्मण के घर विश्राम किया. वहां उन्होंने नंदी (एक सफेद बेल) और अपनी मां के बीच एक असाधारण बातचीत सुनी. नंदी ने अपने स्वामी के कठोर व्यवहार की बात मां को बताई और कहा कि वह उन्हें मार डालेगा, क्योंकि वह जानता था कि इस पाप का उपाय पवित्र नदियां हैं.
नंदी का घोर पाप और शुद्धिकरण
अगली सुबह जब देव शर्मा नंदी को गौशाला से ले जाने के लिए आए, तो बैल ने उनपर भयंकर रूप से हमला कर दिया. नंदी ने अपने तीखे सींग ब्राह्मण के पेट में घुसा दिए, जिससे उनकी मौके पर ही मौत हो गई.
ऐसा होता ही नंदी का शुद्ध सफेद रंग पूरी तरह काला पड़ गया, जो उसके घोर पाप का दैवीय संकेत था.
नंदी पंचवटी में पवित्र नदी गोदावरी की ओर दौड़े, जहां तीन पवित्र नदियां अरुणा, वरुणा और अदृश्य सरस्वती रामकुंड में मिलती है. जैसे ही नंदी पवित्र जल से बाहर निकले, उनका काला रंग पूरी तरह सफेद दूधिया रंग में बदल चुका था. वे अपने पाप से पूरी तरह शुद्ध हो चुके थे.
कपालेश्वर मंदिर की स्थापना
भगवान शिव चुपचाप ये सब कुछ देख रहे थे. उन्होंने नंदी की ही तरह गोदावरी के जल में स्नान कर पास के ही राम मंदिर में भगवान राम के दर्शन किए. नई आशा और जोश के साथ शिवजी एक पहाड़ी पर चढ़ गए, जहां उन्होंने एक शिवलिंग स्थापित किया और अपने पाप से मुक्ति के लिए घोर तपस्या शुरू कर दी.
जैसे ही शिव ने तपस्या करना शुरू की तो पूरी आकाशगंगा उनके ऊपर आकाश में प्रकट हो गई. शिवजी पर पुष्प वर्षा होने लगी. इस भक्ति से अभिभूत होकर भगवान विष्णु ने खुद, वहां स्थायी शिवलिंग की स्थापना की और उसका नाम कपालेश्वर रखा, जो पाप पर विजय पाने वाले भगवान हैं.
क्यों नहीं है नंदी महाराज?
चूंकि नंदी ने भगवान शिव को घोर पाप से मुक्ति का पवित्र रास्ता दिखाया था, इसलिए शिव न विनम्रतापूर्वक नंदी को अपना आध्यात्मिक गुरु और मार्गदर्शक स्वीकार किया.
यही कारण है कि अपने गुरु के प्रति गहरे सम्मान के कारण नंदी कपालेश्वर मंदिर में शिवलिंग के सामने नहीं है, जो सार्वभौमिक परंपरा का उल्लंघन है.
मंदिर का महत्व
भक्तों का मानना है कि कपालेश्वर मंदिर के दर्शन करने से सभी तरह के पाप धुल जाते हैं और मोक्ष की प्राप्ति होती है. इसकी शक्ति इतनी दैवीय और अपार है कि, भगवान इंद्र और भगवान राम जैसे देवता भी यहां प्रार्थना करने आते हैं.
किंवदंती है कि इस मंदिर के दर्शन से सभी 12 ज्योतिर्लिंगों के दर्शन के बराबर पुण्य प्राप्त होता है.
कैसे पहुंचे?
- स्थान: पंचवटी, नासिक, महाराष्ट्र
- नजदीकी रेलवे स्टेशन: नासिक रोड
- नजदीकी हवाई अड्डा: छत्रपति शिवाजी महाराज इंटरनेशनल एयरपोर्ट (मुंबई)
- लोकल ट्रांसपोर्ट: बस, टैक्सी और ऑटो आसानी से उपलब्ध हैं.
दर्शन का समय
- सुबह: 5:00 AM – 12:00 PM
- शाम: 4:00 PM – 9:00 PM
(त्योहार और सावन के महीने में समय बढ़ाया जा सकता है)
FAQs
Q1: कपालेश्वर शिव मंदिर कहां स्थित है?
Ans: महाराष्ट्र के नासिक के पंचवटी क्षेत्र में स्थित है.
Q2: इस मंदिर में नंदी महाराज क्यों नहीं हैं?
Ans: क्योंकि शिवजी ने नंदी को अपना गुरु माना और उनके प्रति सम्मान स्वरूप नंदी को शिवलिंग के सामने स्थापित नहीं किया गया.
Q3: कपालेश्वर मंदिर के दर्शन का क्या महत्व है?
Ans: मान्यता है कि यहां दर्शन करने से सभी पाप धुल जाते हैं और सभी 12 ज्योतिर्लिंगों के दर्शन का फल मिलता है.
Q4: कपालेश्वर शिव मंदिर जाने का सबसे अच्छा समय कौन सा है?
Ans: सावन और महाशिवरात्रि का समय विशेष रूप से शुभ और भक्तिमय माना जाता है.
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