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मंत्री प्रतिभा शुक्ला ने किया खुलासा। – फोटो : अमर उजाला।
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बाल विकास सेवा एवं पुष्टाहार विभाग में हो रहे आंगनबाड़ी कार्यकर्ताओं की भर्तियों में भ्रष्टाचार को लेकर अब विभाग की मंत्री ने ही मोर्चा खोल दिया है। यही नहीं, मंत्री ने इस संबंध में निदेशक आईसीडीएस को पत्र लिखकर भर्तियों में बड़े पैमाने पर भ्रष्टाचार होने की शिकायत की है। साथ ही मंत्री ने जिले स्तर पर हो रही भर्ती को रद्द करके इसे प्रदेश स्तर से कराने की मांग भी किया है।
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दरअसल प्रदेश के सभी जिलों में आंगनबाड़ी कार्यकर्ताओं के 52 हजार से अधिक पद खाली हैं। इसपर पिछले साल से ही भर्ती की प्रक्रिया शुरु की गई है। लेकिन तमाम जिलों में भर्ती में अनियमितता की शिकायतों और हाईकोर्ट में याचिका की वजह से भर्ती की प्रक्रिया अब तक पूरा नहीं हो पाई है। लिहाजा अभी भी जिलों में भर्ती की काम चल रहा है। इसके लिए शासन ने जिला स्तर पर जिला कार्यक्रम अधिकारियों (डीपीओ) को जिम्मेदारी दे रखी है। हालांकि इसके लिए गठित कमेटी का अध्यक्ष संबंधित जिले के मुख्य विकास अधिकारी (सीडीओ) को नामित किया गया है, लेकिन डीपीओ की बड़ी भूमिका है।
खास बात यह है कि जब से यह भर्ती शुरू हुई तभी से विवादों में घिरी है। इस वजह से कई बार मानकों में बदलाव भी किए गए हैं। इसके बावजूद भर्ती में सेटिंग-गेटिंग का खेल अक्सर सामने आ रहा है। जिला स्तर के अधिकारियों पर मानकों के विपरीत पसंद और नापसंद के आधार पर चयन करने के गंभीर आरोप लग रहे हैं। ऐसी तमाम शिकायतें शासन और आईसीडीएस निदेशालय भी पहुंच रही हैं, लेकिन निदेशालय स्तर पर भी उसे दबा दिया जा रहा है।
ताजा मामला महिला कल्याण एवं बाल विकास सेवा एवं पुष्टाहार राज्यमंत्री प्रतिभा शुक्ला का निदेशक आईसीडीएस को लिखे गए उस से पत्र से जुड़ा है, जिसमें उन्होंने डीपीओ और उनके कार्याल के कर्मचारियों पर भर्ती में अनियमितता बरतने का खुला आरोप लगाया है। मंत्री ने अपने पत्र में अपने दौरे का हवाला देते हुए लिखा है कि वह जिस भी जिले में दौरे पर जा रही हैं, वहां भर्ती में भ्रष्टाचार की ढेर शिकायतें मिल रही हैं। आवेदन लेने से लेकर उसकी छंटनी तक का काम डीपीओ की देखरेख में हो रहा है।
मंत्री ने लिखा है कि इस प्रक्रिया गोपनीयता का पालन तक नहीं किया जा रहा है। मंत्री ने यह भी आरोप लगाया है कि डीपीओ दफ्तर के बाबू आवेदन करने वाले अभ्यर्थियों से सीधे संपर्क करके उनसे पैसे की मांग कर रहे हैं। दो-दो लाख रुपये की मांग की जा रही है। 21 फरवरी को लिखे गए इस पत्र के माध्यम से मंत्री मौजूदा भर्ती प्रक्रिया को रद्द करते हुए जिला के बजाए प्रदेश स्तर से भर्ती कराने की मांग की है।
पहले की शिकायत दाखिल दफ्तर
गौर करने की बात यह है कि शुरूआती दौर से भर्ती में अनियमितता की शिकायतें निदेशालय से लेकर शासन तक पहुंची। कई जिलों के डीएम तक ने शासन को भर्ती के मानको में भ्रामक बिंदुओं के शामिल किए जाने को पत्र लिखा था, लेकिन शासन और निदेशालय ने ऐसी सारी शिकायतों को दाखिल दफ्तर कर रखा है। अब देखना है कि विभागीय मंत्री द्वारा उठाई गई आपत्ति पर कार्रवाई होती या नहीं। इससे पहले सपा के बागी विधायक मनोज पांडेय ने रायबरेली में हुई भर्ती में गड़बड़ी का हवाला देते हुए कई जिलों में भर्ती में अनियमितता का मामला विधानसभा में उठा चुके हैं। इसपर भी विभाग मौन है।
आय प्रमाण पत्र बनवाने तक में खेल
सूत्रों का कहना है कि कई जिलों की भर्तियों में तो आय प्रमाण पत्र बनवाने तक में खेल की शिकायतें पहुंच रही हैं। दरअसल भर्ती में पात्रता के लिए आय की भी सीमा तय की गई है। लेकिन क्षेत्र के तमाम रसूखदार, अधिकारी, नेता, स्थानीय जनप्रतिनिधि अपने-अपने लोगों की भर्ती कराने के लिए तहसील कर्मियों से मिलकर आय प्रमाण पत्र बनवाने भी गड़बड़ी कर रहे हैं।ऐसी तमाम शिकायतों पर न तो शासन कुछ बोलने को तैयार है और न ही निदेशालय।