Parivartini Ekadashi 2025: परिवर्तिनी एकादशी 3 सितंबर को है और इसका व्रत पारण 4 सितंबर 2025 को किया जाएगा. धार्मिक ग्रंथों के अनुसार एकादशी व्रत को समाप्त करने को पारण कहते हैं, एकादशी व्रत के अगले दिन सूर्योदय के बाद पारण किया जाता है. महाभारत के अनुसार भगवान कृष्ण से एकादशी को मन और आत्मा को शुद्ध करने का सबसे लाभकारी व्रत बताया है. यह व्रत मुक्ति (मोक्ष) और आध्यात्मिक प्राप्ति के लिए अत्यंत लाभकारी है.
परिवर्तिनी एकादशी व्रत पारण 2025
परिवर्तिनी एकादशी का व्रत पारण 4 सितंबर को दोपहर 1 बजकर 36 मिनट से शाम 4 बजकर 07 मिनट के बीच किया जाएगा. पारण तिथि के दिन हरि वासर समाप्त होने का समय सुबह 10:18 तक है.
महाभारत में एकादशी व्रत महत्व
महाभारत काल में पांडवों के अलावा पितामह भीष्म ने भी इस व्रत को किया था. इस व्रत के प्रभाव से व्यक्ति सांसारिक सुखों को भोगते हुए अपने पूर्वजों का भी उद्धार करता है और अंत में खुद भी बैकुंठ धाम को जाता है.
व्रत पारण विधि
आमतौर पर लोग द्वादशी तिथि पर सुबह से ही नाश्ता कर लेते हैं, लेकिन जब भी आप एकादशी व्रत का पारण करें तो फिर अन्न खाने से पहले अपने मुख में तुलसी का दल जरूर रखें. ध्यान रहे तुलसी चबाएं नहीं बल्कि उसे निगल जाएं. 1 या 2 आंवला भी खा सकते हैं. ये बहुत फलदायी होता है.
सूर्योदय से पहले एकादशी व्रत पारण की कोई विधि और नियम नहीं है. लेकिन द्वादशी तिथि खत्म होने से पहले इसका पारण कर लेना चाहिए. वहीं, आप द्वादशी के दिन चावल खाकर ही पारण करें और मुहूर्त के समय में करें.
एकादशी व्रत पारण बिना नहाए नहीं करना चाहिए, द्वादशी तिथि पर पहले स्नान करें, विधि पूर्वक विष्णु जी का पूजन करें, ब्राह्मण को दान देने के बाद ही व्रत खोलें. पुराणों में इस विधि से ही एकादशी व्रत पारण की विधि का वर्णन है.
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