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हिंदी सिनेमा में कई घराने हुए जिन्होंने फिल्मेकिंग में खूब नाम कमाया. वो बेशक कपूर फैमिली हो या यश चोपड़ा का परिवार. मगर एक परिवार और था जिन्होंने बिल्कुल नए तड़के के साथ नाम कमाया. चलिए बताते हैं इस बारे में.
हिंदी सिनेमा के उदय के साथ ही कपूर खानदान भी अस्तित्व में आया. 100 सालों से ये खानदान फिल्में बना रहा है. इंडस्ट्री के पॉपुलर परिवारों की बात हो तो कपूर, आनंद, बच्चन, यश चोपड़ा से लेकर खान फैमिली का राज देखने को मिलता है. मगर एक परिवार और भी है. जो सालों पुराना है. (फोटो: IMDb)

इस परिवार का नाम है रायसिंघानिया, जिसे अपने अनूठे अंदाज के लिए जाना गया. जहां कपूर खानदान बड़े बड़े डायरेक्टर, महंगे स्टारकास्ट और शानदार लोकेशन पर शूट करने के लिए जाना जाता था. वहीं रायसिंघानिया परिवार चीप फिल्में बनाकर हिट हुआ.(फोटो: IMDb)

शुरुआत में रायसिंघानियाओं की खूब आलोचना हुई. जो सस्ती और बेढंगी फिल्में बनाने के चक्कर में पिसता था. मगर इस खानदान ने छोटे शहरों के नब्ज को पकड़ लिया और दबाकर ऐसी हॉरर फिल्में बनाई जिन्हें छोटे शहरों और गांव गलियों में खूब पसंद की गई. (फोटो: IMDb)

अगर अब तक आप इस रायसिंघानिया परिवार को समझ नहीं पाए तो बता दें ये है रामसे भाई. जिन्होंने फिल्मों में आने के बाद अपना नाम बदलकर रायसिंघानिया से रामसे कर दिया. वही रामसे ब्रदर्स जिन्होंने वीराना जैसी सुपरहिट फिल्मों को बनाया. (फोटो: IMDb)

कार्तिक नायर के रिसर्च पेपर के मुताबिक, रायसिंघानिया परिवार के मुखिया FU रायसिंघानिया ने ही सबसे पहला अपना नाम बदला और रामसे क लिया था. उन्हें लगता था कि बहुत सारे लोग उनके नाम को सही से पुकार नहींपाते थे. ऐसे में उन्होंने नाम ही बदल लिया. ये परिवार भी कपूर खानदान की तरह पाकिस्तान से आता है. जो बंटवारे के बाद भारत आए और फिर फिल्मों के कारोबार में लग गए. (फोटो: IMDb)

एक वक्त था जब रायसिंघानिया परिवार कराची में इलेक्ट्रॉनिक्स की दुकान चलाते थे. मगर बंटवारे के बाद उन्हें सबकुछ पीछे छोड़कर लौटना पड़ा. एफयू रामसे के सात बेटे थे- श्याम, तुलसी, गंगू, केशु, किरण, अरुण और कुमार. सभी बंटवारे के बाद मुंबई आए और अपना कारोबार वापस मुंबई में शुरू किया. (फोटो: IMDb)

बिजली के धंधे के साथ साथ FU रामसे ने फिल्म प्रोडक्शन में भी ट्राई किया. उनकी दुकान ठीक से चल नहीं पा रही थी. ऐसे में उन्होंने फिल्मों में भी इन्वेस्ट करना शुरू किया. 1970 में सबसे पहले उन्होंने शत्रुघ्न सिन्हा, पृथ्वीराज कपूर और मुमताज की फिल्म एक नन्ही मुन्नी लड़की थी पर पैसा लगाया और बॉलीवुड में एंट्री की. मगर उनकी ये फिल्म फ्लॉप हो गई. फिर आगे चलकर उनके बेटे तुलसी ने हॉरर फिल्में बनाने का तय किया. (फोटो: IMDb)

तुलसी रामसे के हॉरर फिल्म के आइडिया ने उनके परिवार के साथ साथ हिंदी सिनेमा की दिशा भी बदल दी थी. उन्होंने खुद फिल्में बनाने सीखी. अपने परिवार के 15 लोगों की एक टीम बनाई और सस्ते बजट में हॉरर फिल्में बनानी शुरू की. रामसे परिवार की डरावनी फिल्में हॉरर फिल्म द ममी और ड्रैकुला जैसी ट्रेडिंग फिल्मों की कॉपी होती थी. वह इनमें तड़कता भड़कता मेकअप और बोल्ड सीन भरते थे. (फोटो: IMDb)

रामसे ब्रदर्स ने फिल्में बनाने के लिए किराए पर एक जर्जर हवेली तक ले ली थी. आउटर मुंबई में ये घर था जहां उन्होंने अपनी टीम के साथ काम करते थे. उनकी मां ही पूरी टीम के लिए खाना तक बनाई जाती थी. सबसे पहले उन्होंने फिल्म बनाई दो गज जमीन के नीचे. इस फिल्म को बनाने में 40 दिन लगे. साढ़े तीन लाख का बजट था और फिल्म जब रिलीज हुई तो इसने 45 लाख का बिजनेस किया. (फोटो: IMDb)

रामसे ब्रदर्स को हिट का फॉर्मूला मिल चुका था और 35 बार उन्होंने इसी तरह बार बार फिल्में बनाईं. साल 1984 में आई पुराना मंदिर से वह बॉलीवुड में छा गए.

एक जाना पहचाना नाम बन गए. कहते हैं कि पुराना मंदिर ने उस जमाने में 2.5 करोड़ रुपये की कमाई की थी. पूरी इंडस्ट्री उन्हें ताक रही थी कि आखिर ये अजूबा कैसे मुमकिन हुआ. इनमें से एक नाम कपूर खानदान भी था.(फोटो: IMDb)

मदरलैंड पत्रिका को दिए इंटरव्यू में तुलसी रामसे ने बताया था कि कैसे इंडस्ट्री में लोग उनसे जलते थे. उन्होंने तो कपूर खानदान पर भी निशाना साधते हुए कहा था, ‘कपूर खानदान के लोग हम पर हंसते थे कि ये भाई क्या कर रहे हैं. लेकिन वह हमारी फिल्में जरूर देखते थे.’ (फोटो: IMDb)